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जयपुर, 25 जुलाई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि जब तक कोचिंग संस्थानों को नियंत्रित करने वाला बिल कानून का रूप नहीं लेता, तब तक इस संबंध में केन्द्र सरकार की ओर से जारी की गई गाइडलाइन को लागू किया जाए। इसके साथ ही भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है। जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस चन्द्र प्रकाश श्रीमाली की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए। वहीं अदालत ने कोचिंग सेंटर संचालकों से पूछा है कि अवसाद में आए विद्यार्थियों को बचाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं और पढाई के तरीके में क्या बदलाव किया गया है।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार ने राजस्थान कोचिंग सेंटर नियंत्रण एवं विनियमन विधेयक, 2025 को कानूनी मूर्त रूप देने के लिए विधानसभा में रखा था। वहीं बाद में विधेयक को प्रवर समिति को भेजा गया और वहां इस पर सुझाव मांगे गए हैं। इसके अलावा कानून के बिना केन्द्र सरकार की गाइड लाइन में बताए गए दंडात्मक प्रावधानों को भी लागू नहीं किया जा सकता है। वहीं न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर गुप्ता की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार की ओर से गाइडलाइन की पालना नहीं की जा रही है। जिससे अभी भी विद्यार्थियों की आत्महत्या की घटनाएं हो रही हैं। इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इतने लंबे समय तक सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ऐसे में गाइडलाइन की सख्ती से पालना की जाए। इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई अगस्त माह के तीसरे सप्ताह में रखी है। राज्य सरकार की ओर से गत सुनवाई पर अदालत को बताया गया था कि इस साल आठ मई तक 14 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की है। गौरतलब है कि कोचिंग सेंटर में पढने वाले विद्यार्थियों की ओर से आए दिन आत्महत्या करने पर गंभीरता दिखाते हुए हाईकोर्ट ने साल 2016 में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया था।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक