बाबा भोले के नीर के लिए तरस रहे हैं कावंरिया श्रद्धालु
ढ़का हुआ नीर कुंड


दुमका, 25 जुलाई (हि.स.)। सुप्रसिद्ध तीर्थ स्थान बाबा बासुकीनाथ धाम में आयोजित मासव्यापी श्रावणी महोत्सव के दौरान बासुकीनाथ धाम में जलार्पण के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालु बाबा बासुकीनाथ के चरणामृत नीर के लिए तरस रहे हैं।

देश के कोने-कोने से आए कई श्रद्धालुओं ने इस बारे में बताया कि प्रशासन की ओर से मंदिर के भीतर इस तरह बेरीकेटिंग कर दी गई है कि श्रद्धालु सिर्फ दो मंदिर में ही जलार्पण कर पाते हैं। जबकि मंदिर में 10 महाविद्या के अलावा अन्य देवी-देवताओं की भी प्रतिमा स्थापित है। जिनकी पूजा से श्रद्धालु वंचित रह जाते हैं। श्रद्धालुओं ने मंदिर प्रशासन और सरकारी व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कौन सी व्यवस्था है कि श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में स्थापित अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा की पूजा पाठ से वंचित रखा जा रहा है।

उन्‍होंने कहा कि बड़ा सवाल यह है कि भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने के लिए श्रद्धालु 105 किलोमीटर से भी अधिक पैदल यात्रा कर उत्तर वाहिनी गंगाजल लेकर महादेव नगरी आते हैं। लेकिन जलार्पण के बाद बाबा का चरणामृत (नीर) जो मुख्य प्रसाद के तौर श्रद्धालु गांव लेकर जाते हैं। अपने परिजनों और समाज के अन्य लोगों के लिए उस नीर से भी श्रद्धालुओं को वंचित रख दिया जा रहा है। जो अपने आप में प्रशासनिक व्यवस्था के उपर बड़ा सवाल है।

उल्‍लेखनीय है कि श्रावणी मेला के दौरान बाबा मंदिर के गर्भ गृह से निकलने वाला नीर कुण्ड को ढंक दिया गया है। इसके कारण श्रद्धालुओं को नीर प्राप्त नहीं हो पा रहा है। इससे बाबा बासुकीनाथ पहुंचने वाले श्रद्धालू नीर नहीं पीने से तृप्ति नहीं मिल पा रही है।

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हिन्दुस्थान समाचार / नीरज कुमार