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शिलांग, 25 जुलाई (हि.स.)। मेघालय में लगभग 4,000 मैट्रिक टन कोयले के रहस्यमय तरीके से सरकारी डिपो से गायब होने के मामले में उच्च न्यायालय
ने राज्य सरकार से सख्त जवाब तलब किया है।
गायब हुआ कोयला पहले किए गए सर्वेक्षणों में दर्ज था और इसे राजाजू तथा डिएंग्न्गान गांवों के डिपो में संग्रहित किया गया था। अचानक इसके लापता होने से न केवल निगरानी में भारी चूक की आशंका जताई जा रही है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही या किसी गड़बड़ी की भी संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा।
इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एचएस थांगखिउ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य के अधिकारियों और संबंधित एजेंसियों को जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने इस संबंध में कोयला मामलों की निगरानी कर रही सेवानिवृत्त न्यायाधीश बीपी कटकी समिति की 31वीं अंतरिम रिपोर्ट का भी हवाला दिया।
उच्च न्यायालय
ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह एक विस्तृत हलफनामा दाखिल कर यह स्पष्ट करे कि कोयला कैसे गायब हुआ और उसे पुनः प्राप्त करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। इस घटना ने मेघालय में अवैध कोयला खनन को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है और निगरानी व्यवस्था को सख्त तथा पारदर्शी बनाए जाने की मांग तेज हो गई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश