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चंडीगढ़, 24 जुलाई (हि.स.)। पंजाब-हरियाणा उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को हरियाणा में 26 और 27 जुलाई को आयोजित होने वाले कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी) के दौरान सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था से संबंधित एक याचिका का निपटारा कर दिया।
गुरुवार को पंजाब-हरियाणा उच्चतम न्यायालय में दायर की गई याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दाैरान याचिका में दावा किया गया कि हरियाणा रोडवेज की अधिकांश बसों को परीक्षा ड्यूटी में तैनात करने से दैनिक यात्रियों, कार्यालय जाने वालों, मरीजों, बुजुर्गों और श्रमिक वर्ग को असुविधा होगी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि सरकार ने वैकल्पिक या आकस्मिक परिवहन व्यवस्था न करने से संवैधानिक मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।
सुनवाई के दौरान हरियाणा के महाधिवक्ता और परिवहन विभाग के अधिकारियों ने कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा। सरकार ने दावा किया कि आगामी 26 व 27 जुलाई को आयोजित होने वाले कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी) की परीक्षा के दौरान राज्य में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था के कारण आम लोगों कोई दिक्कत नहीं होगी।
रोडवेज की 4,000 बसाें में से 2500 बस सीईटी परीक्षा में तैनात की गई है, जबकि 1,500 बस सामान्य रूट पर जनता के लिए चलेगी। कोर्ट को बताया गया सीईटी के लिए जिलों के डीसी द्वारा निजी स्कूलों की 9,500 बस का भी प्रबंध किया गया है।
बसों में पेट्रोल-डीजल के लिए जिला स्तर पर डीसी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी में डीसी के अलावा जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी, रोड ट्रांसपोर्ट ऑफिसर और रोडवेज के जीएम को शामिल किया गया है। इस कमेटी के जरिए ही बसों के पेट्रोल और डीजल के रेट तय किए जाएंगे।
सरकार के जवाब पर कोर्ट ने कहा कि परीक्षा शनिवार और रविवार काे होनी है इसलिए कार्यालय बंद होते है फिर भी सरकार उचित कदम उठाए ताकि आमजन को परिवहन बारे कोई दिक्कत न हो। इसी के साथ कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा