उज्‍जैन : हरियाली अमावस्या पर शिप्रा में श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी, दूधतलाई और अनंत पेठ में सजेगा पारंपरिक मेला
हरियाली अमावस्या पर उज्‍जैन में शिप्रा में श्रद्धालुओं ने किया स्नान


हरियाली अमावस्या पर उज्‍जैन में शिप्रा में श्रद्धालुओं ने किया स्नान


उज्‍जैन/भोपाल, 24 जुलाई (हि.स.)। हरियाली अमावस्या के पावन अवसर पर गुरुवार को उज्जैन में श्रद्धालुओं ने शिप्रा नदी में स्नान कर पुण्य अर्जित किया और मंदिरों में देव दर्शन किए। इस दौरान श्री महाकालेश्वर मंदिर समेत विभिन्न मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी। शाम को दूधतलाई और अनंत पेठ क्षेत्रों में पारंपरिक मेले का आयोजन होगा, जिसमें विशेष रूप से युवतियों द्वारा खेले जाने वाले धानी मुक्का खेल की धूम रहेगी।

ज्‍योतिष जानकारों के अनुसार, हरियाली अमावस्या दर्श अमावस्या की श्रेणी में आती है और इस दिन पौधारोपण, पिंडदान, तर्पण और पितरों के लिए दान का विशेष महत्व होता है। इस बार पुनर्वसु नक्षत्र के संयोग से सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जो इसे और भी अधिक शुभ बनाता है।

हरियाली अमावस्या के अवसर पर गुरुवार सुबह उज्जैन के दूधतलाई स्थित दूधेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं ने पंचामृत से अभिषेक कर विशेष पूजन और श्रृंगार किया। शाम को मंदिर परिसर में पारंपरिक मेला आयोजित किया जाएगा। इसी तरह अनंत पेठ मंदिर परिसर में भी मेले की रौनक रहेगी, जहां बच्चे झूले और चकरी का आनंद लेंगे। इस पर्व पर धानी मुक्का खेलने की विशेष परंपरा भी निभाई जाती है। दूधतलाई, अनंत पेठ और शिप्रा नदी के गऊघाट पर व्रत रख रहीं युवतियां अपनी सहेलियों के साथ इस पारंपरिक खेल को खेलती हैं, जो हरियाली अमावस्या की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है।

गौरतलब है कि हरियाली अमावस्या न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा पर्व है, बल्कि यह पर्यावरण चेतना का प्रतीक भी है। यह दिन प्रकृति के विविध रूपों की पूजा, हरियाली के महत्व की अनुभूति और पर्यावरण संरक्षण के संकल्प का अवसर होता है। इस दिन लोग घरों, मंदिरों, तीर्थ स्थलों, नदी किनारों और धर्मशालाओं में पौधारोपण करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पौधे लगाने या उनका दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि जैसे-जैसे लगाया गया पौधा बढ़ता है, वैसे-वैसे दानकर्ता को शुभ फल और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

हिन्दुस्थान समाचार / उम्मेद सिंह रावत