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पंजाब के पुलिस महानिरीक्षक को दिया अपराध नियंत्रण विभाग के दावों की सत्यता की समीक्षा करने का निर्देश
इस्लामाबाद, 24 जुलाई (हि.स.)। पाकिस्तान के लाहौर उच्च न्यायालय ने पंजाब पुलिस के नवगठित अपराध नियंत्रण विभाग की मुठभेड़ों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उच्च न्यायालय ने बुधवार को पुलिस महानिरीक्षक डॉ. उस्मान अनवर को अपराध नियंत्रण विभाग की मुठभेड़ों की सत्यता के दावों की समीक्षा करने का निर्देश दिया।
डान अखबार की खबर के अनुसार, इससे पहले उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए पुलिस महानिरीक्षक एक महिला फरहत बीबी की याचिका के संबंध में उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश आलिया नीलम के समक्ष पेश हुए। महिला ने कथित मुठभेड़ में अपने बेटे की हत्या के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।
पुलिस महानिरीक्षक डॉ. अनवर ने दायर हलफनामा में कहा कि संदिग्ध (महिला के बेटे) को बरामदगी के बाद ले जाया जा रहा था। इस दौरान पुलिस वाहन का टायर पंक्चर हो गया। इसका फायदा उठाते हुए उसके साथियों ने हमला कर दिया। संदिग्ध की मौत उसके ही साथियों की गोलीबारी में हुई। मुख्य न्यायाधीश ने पुलिस महानिरीक्षक की रिपोर्ट पर संतुष्टि जताई।
हालांकि, मुख्य न्यायाधीश ने सवाल किया, जब भी किसी पुलिस वाहन पर गोलीबारी होती है तो गोली सीधे संदिग्ध को कैसे लगती है? गोली कभी किसी कांस्टेबल या पुलिस वाहन को क्यों नहीं लगती? उन्होंने कहा कि लाहौर उच्च न्यायालय को प्रतिदिन फर्जी पुलिस मुठभेड़ों से संबंधित 50 याचिका प्राप्त हो रही हैं। इसलिए मुठभेड़ों की वास्तविकता का आकलन जरूरी है ।
मुख्य न्यायाधीश आलिया नीलम ने पुलिस महानिरीक्षक को अपराध नियंत्रण विभाग की मुठभेड़ों की गहन समीक्षा करने का निर्देश दिया। उन्होंने पुलिस प्रमुख को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि भविष्य में ऐसी फर्जी मुठभेड़ें दोबारा न हों। इसी के साथ मुख्य न्यायाधीश ने फरहत बीबी की याचिका का निपटारा कर दिया।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि उनके मुवक्किल के दो बेटों, गजनफर असलम और अंसार असलम को शर्कपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। गजनफर 22 अप्रैल को फर्जी मुठभेड़ में मारा गया। याचिकाकर्ता के दूसरे बेटे की जान को गंभीर खतरा है। उन्होंने तर्क दिया कि अपराध नियंत्रण विभाग की स्थापना के बाद से सभी पुलिस मुठभेड़ों में पटकथा एक जैसी है।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद