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नई दिल्ली, 24 जुलाई (हि.स)। भारत-ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर का चांदनी चौक सांसद एवं कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने ऐतिहासिक करार दिया।
खंडेलवाल ने गुरुवार को इस समझौते पर हस्ताक्षर का स्वागत करते हुए अपनी त्वरित प्रतिक्रिया में इसे भारतीय व्यापार के लिए एक निर्णायक उपलब्धि और वैश्विक व्यापार में भारत की बढ़ती भूमिका की मजबूत नींव बताया है।
खंडेलवाल ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कहा कि लंदन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की मौजूदगी में हस्ताक्षरित यह समझौता भारत से ब्रिटेन को निर्यात होने वाले लगभग 99 फीसदी वस्तुओं को शुल्क-मुक्त पहुंच प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि समझौते में वस्त्र, रत्न, आभूषण, इंजीनियरिंग उत्पाद और हस्तशिल्प जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं, जो भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई), कारीगरों और घरेलू उत्पादकों के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन साबित होगा।
कैट महामंत्री ने कहा, “यह केवल एक व्यापार समझौता नहीं, बल्कि भारत के व्यापारियों और किसानों के लिए एक परिवर्तनकारी छलांग है।
उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारतीय उद्यम अब आत्मविश्वास के साथ वैश्विक मंच पर कदम रख रहा है।”
खंंडेलवाल ने कहा कि इस समझौते की एक विशेष बात भारत के कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों को मिली व्यापक समर्थन है। इसमें मसाले, हल्दी, समुद्री उत्पाद और आम पल्प सहित 95 फीसदी से अधिक कृषि निर्यात अब ब्रिटेन के बाजार में शून्य शुल्क पर पहुंच सकेंगे। इससे भारत के कृषि निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि और ग्रामीण आय में सुधार की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, “यह समझौता हर उस किसान, व्यापारी और निर्यातक के लिए नई आशा और नए बाजारों के द्वार खोलता है, जो कभी वैश्विक पहुंच को एक दूर का सपना समझते थे।”
खंडेलवाल ने कहा, “इसके साथ ही सरकार ने दुग्ध क्षेत्र जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की रक्षा करते हुए अवसर और संतुलन का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है।” सरकार की इस दूरदर्शी रणनीति की सराहना करते हुए खंडेलवाल ने कहा कि यह समझौता साहसी आर्थिक सोच और जमीनी सशक्तिकरण का बेहतरीन संगम है।
सांसद खंडेलवाल ने आश्वस्त किया कि कैट भारत के व्यापारी वर्ग को इस ऐतिहासिक अवसर का लाभ उठाने के लिए हरसंभव सहयोग देगा। उन्होंने निष्कर्ष में कहा, “यह केवल निर्यात या आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि यह सम्मान, समृद्धि और भारत के आत्मनिर्भर वैश्विक व्यापार शक्ति के रूप में उभरने की कहानी है।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर