भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते की मुख्य बातें, जानिए इससे किसको होगा फायदा
भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते पर हस्‍ताक्षर करते पीयूष गोयल और उनके समकक्ष


लंदन/नई दिल्‍ली, 24 जुलाई (हि.स)। भारत और ब्रिटेन ने गुरुवार को बहुप्रतिक्षित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे सालाना द्विपक्षीय व्यापार में करीब 34 अरब डॉलर का इजाफा होने की उम्मीद है। इस व्‍यापार समझौते से 99 फीसदी भारतीय निर्यात पर शुल्क समाप्त होने के साथ ब्रिटिश व्हिस्की, कारों एवं कई अन्य वस्तुओं पर लगने वाले शुल्क में भी कटौती होगी।

आधिकारिक तौर पर व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (सीईटीए) कहे जाने वाले इस ऐतिहासिक समझौते पर लंदन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष स्टार्मर की मौजूदगी में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और उनके ब्रिटिश समकक्ष जोनाथन रेनॉल्ड्स ने इस डील पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते की खास-खास बातें इस प्रकार हैं-

इस समझौते से भारत को ब्रिटेन में फल, सब्जियां, अनाज, हल्दी, काली मिर्च, इलायची जैसे कई कृषि उत्पादों और खाने के लिए तैयार खाद्य, आम का गूदा, अचार और दालों जैसे प्रसंस्कृत उत्पाद तक शुल्क मुक्त पहुंच मिलेगी। इससे किसानों को ब्रिटेन के 37.5 अरब डॉलर के कृषि बाजार में तरजीही पहुंच मिलेगी। समझौते के बाद शुल्क मुक्त पहुंच से अगले तीन साल में कृषि निर्यात में 20 फीसदी से अधिक की वृद्धि होने की उम्मीद है, जो 2030 तक भारत के 100 अरब डॉलर के कृषि निर्यात के लक्ष्य में योगदान देगा।

इसके अलावा इस व्‍यापार समझौते से महाराष्ट्र (अंगूर, प्याज), गुजरात (मूंगफली, कपास), पंजाब और हरियाणा (बासमती चावल), केरल (मसाले) और पूर्वोत्तर राज्यों (बागवानी) को लाभ होगा। भारत डेयरी, सब्जियां, सेब, खाना पकाने के तेल, जई जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की पूरी तरह से सुरक्षा करता है।

यह समझौता भारतीय मछुआरों के लिए बड़ी उपलब्धि है। इससे 5.4 अरब डॉलर का ब्रिटेन का बाज़ार समुद्री निर्यात के लिए खुल गया है, क्योंकि समुद्री उत्पादों पर ब्रिटेन का आयात शुल्क 20 फीसदी से घटकर शून्य हो गया है। भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र, विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल और तमिलनाडु को समुद्री आयात बाजार तक पहुंच के माध्‍यम से विस्तार मिलेगा।

-ब्रिटेन में श्रम-प्रधान क्षेत्रों को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलने से रोज़गार सृजन को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। इससे प्रमुख क्षेत्रों पर शून्य शुल्क लगेगा, जिसमें कपड़ा और परिधान पर 12 फीसदी, रसायनों पर 8 फीसदी और आधार धातुओं पर 10 फीसदी से घटकर होगा।

-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर शून्य शुल्क, जो पहले 70 फीसदी तक था, ग्रामीण भारत और निर्यातकों के लिए भारी लाभ। डीसीसी कर्मचारियों और नियोक्ताओं को 3 साल के लिए सामाजिक सुरक्षा अंशदान से छूट देगा। इसके अलावा ब्रिटेन में 75,000 भारतीय कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा अंशदान से 3 साल की छूट का लाभ मिलेगा और पेशेवरों को ब्रिटेन में बेहतर आवागमन की सुविधा मिलेगी।

-1,800 तक भारतीय शेफ, योग प्रशिक्षक और शास्त्रीय संगीतकार अस्थायी रूप से सेवाएं प्रदान करने के लिए ब्रिटेन जा सकेंगे। दोहरे अंशदान सम्मेलन (डीसीसी) से 75,000 कर्मचारियों को लाभ होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर