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नई दिल्ली, 24 जुलाई (हि.स.)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने संसद सुरक्षा में चूक के आरोपित मनोरंजन डी. की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। जस्टिस विवेक चौधरी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि संसद में व्यवधान डालना देश में आतंक फैलाने का सबसे आसान तरीका है।
गुरुवार काे सुनवाई के दौरान मनोरंजन डी. के वकील ने कहा कि संसद के अंदर नारेबाजी करते हुए धुएं के कनस्तर खोलना आतंकवादी कृत्य नहीं है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2 जुलाई को इस मामले के दो आरोपितों नीलम आजाद और महेश कुमावत को जमानत दी थी।
दिल्ली पुलिस ने 15 जुलाई 2024 को इस मामले में पूरक चार्जशीट दाखिल की थी। दिल्ली पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा मामले में 186, 353, 153, 452, 201, 34, 120बी और यूएपीए की धारा 13, 16, 18 के तहत चार्जशीट दाखिल की थी। दिल्ली पुलिस ने 7 जून, 2024 को पहली चार्जशीट दाखिल की थी। दिल्ली पुलिस ने जिन आरोपितों के खिलाफ यूएपीए की धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल की है, उनमें मनोरंजन डी, ललित झा, अमोल शिंदे, महेश कुमावत, सागर शर्मा और नीलम आजाद शामिल हैं। दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल पहली चार्जशीट करीब एक हजार पन्नों की है।
घटना 13 दिसंबर, 2023 की है, जब संसद की विजिटर गैलरी से दो आरोपित चैंबर में कूदे। कुछ ही देर में एक आरोपित ने डेस्क के ऊपर चलते हुए अपने जूतों से कुछ निकाला और अचानक पीले रंग का धुआं निकलने लगा। इस घटना के बाद सदन में अफरातफरी मच गई। हंगामे और धुएं के बीच कुछ सांसदों ने इन युवकों को पकड़ लिया और इनकी पिटाई भी की। कुछ देर के बाद संसद के सुरक्षाकर्मियों ने दोनों युवकों को कब्जे में ले लिया। संसद के बाहर भी दो लोग पकड़े गए जो नारेबाजी कर रहे थे और पीले रंग का धुआं छोड़ रहे थे।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
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हिन्दुस्थान समाचार / अमरेश द्विवेदी