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जोधपुर, 2 जुलाई (हि.स.)। शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (आफरी) जोधपुर द्वारा दीमक प्रबंधन तकनीक एवं उत्कृष्ट प्रयोग विषय पर आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण का बुधवार को समापन हुआ। इस समापन कार्यक्रम के अध्यक्ष आफरी निदेशक डॉ. तरुण कान्त ने प्रशिक्षण के सफलतापूर्वक संचालन की बधाई देते हुए दीमक के सतत प्रबंधन को कृषि क्षेत्र के साथ साथ सामान्य जीवन में महत्त्वपूर्ण बताया। साथ ही उन्होंने कृषि क्षेत्र में कम से कम रसायनों एवं कीटनाशकों को प्रयोग में लाने की बात कही। इससे पूर्व पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. तन्मय कुमार बोई, वैज्ञानिक-सी ने प्रशिक्षण के दौरान आयोजित तकनीकी सत्रों का अवलोकन प्रस्तुत किया और सीखी गई तकनीकों को प्रयोग में लाने का आह्वान किया।
प्रशिक्षण के दौरान डॉ. शिवानी भटनागर, डॉ. तन्मय कुमार, डॉ. अतहर परवेज, शरत कोठारी, सौरव बाग, करना राम चौधरी एवं सादुल राम देवड़ा, विषय विशेषज्ञों ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए। पश्चिम राजस्थान में खेजड़ी मृत्यता के कारण एवं उसके उपचार को दर्शाने वाली एक लघु फिल्म को भी प्रदर्शित किया गया। प्रतिभागियों ने आफरी आदर्श पौधशाला एवं प्रयोगशाला का भ्रमण किया।
प्रतिभागियों ने अपने फीडबैक में प्रशिक्षण को उपयोगी बताया एवं आफरी द्वारा इस क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों की सराहना की एवं कहा कि सीखी गयी विभिन्न तकनीकों को वे अपने अपने क्षेत्रों में अवश्य अपनायेंगे। समापन कार्यक्रम में सभी प्रतिभागीयों को प्रशस्ति पत्र वितरित किए गए। कार्यक्रम में सभी प्रभागाध्यक्ष भावना शर्मा, रमेश बिश्नोई, डॉ शिवानी भटनागर, राजेश गुप्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन मीता सिंह तोमर ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश