तारा चंद ने नौकरी और भूमि की संवैधानिक गारंटी के साथ जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा देने की मांग की
जम्मू, 2 जुलाई (हि.स.)। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद ने स्थानीय लोगों के लिए भूमि, नौकरी और अन्य संपत्ति के अधिकारों की संवैधानिक गारंटी के साथ जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की जल्द घोषणा की मांग की
बैठक के दाैरान कांगरेस नेता तारा चंद आर अनय्


जम्मू, 2 जुलाई (हि.स.)। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद ने स्थानीय लोगों के लिए भूमि, नौकरी और अन्य संपत्ति के अधिकारों की संवैधानिक गारंटी के साथ जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की जल्द घोषणा की मांग की।

छंब और अखनूर निर्वाचन क्षेत्रों के विभिन्न ब्लॉक समितियों के कार्यकर्ताओं और विशेष रूप से सदस्यों को संबोधित करते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा तुरंत बहाल करने की मांग की और कहा कि यह यहां के लोगों का वैध अधिकार है क्योंकि यह सभी प्राकृतिक संसाधनों से युक्त एक पुरानी रियासत थी और दुनिया भर में अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जानी जाती थी। एक खुशहाल राज्य को 5 अगस्त 2019 को बहुत ही अलोकतांत्रिक तरीके से केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया जिसका कारण सत्ता में बैठी सरकार ही जानती है।

उन्होंने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री ने सदन में जम्मू-कश्मीर की गरीब जनता को आश्वासन दिया था कि जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा लेकिन इस संबंध में कुछ नहीं किया गया। शिक्षित और प्रशिक्षित बेरोजगारों की वकालत करते हुए तारा चंद ने सभी दिहाड़ी मजदूरों, जरूरत के हिसाब से काम करने वाले और अनुबंध के आधार पर काम करने वाले लोगों को जल्द से जल्द नियमित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि इन युवाओं को केंद्र और राज्य सरकारों से काफी उम्मीदें हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में एक लाख से ज्यादा रिक्त पदों को तत्काल भरने की भी मांग की क्योंकि ज्यादातर शिक्षित युवा पदों के विज्ञापन का इंतजार करते-करते उम्र पार कर चुके हैं। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि एक परिवार को साल में 12 सिलेंडर, प्रति व्यक्ति 10 किलो राशन और लोगों के लिए विशेष पैकेज, खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासियों के लिए, ये वादे सरकार में शामिल पार्टियों ने किए थे।

अब कई महीने बीत चुके हैं लेकिन लोगों की संतुष्टि के लिए जमीनी स्तर पर कुछ भी ठोस नहीं दिख रहा है। यह समझ में नहीं आता कि सस्ती दरों पर बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने और 200 यूनिट मुफ्त देने के वादे के बावजूद उपभोक्ताओं पर अनावश्यक आर्थिक बोझ डाला जा रहा है। ताराचंद ने कहा कि सरकार को यह समझना चाहिए कि आर्थिक संकट के कारण लोग तनाव में हैं इसलिए सरकार को गरीबों को 200 यूनिट मुफ्त बिजली उपलब्ध करानी चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार / अमरीक सिंह