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चेन्नई, 2 जुलाई (हि.स.)। तमिलनाडु के शिवगंगई जिले में 27 वर्षीय मंदिर सुरक्षा गार्ड अजित कुमार की पुलिस हिरासत में मौत ने पूरे राज्य में हंगामा मचा दिया है। इस घटना ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। विपक्षी दलों ने डीएमके सरकार पर तीखा हमला बोला है, जबकि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है।
मदपुरम कालियम्मन मंदिर में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करने वाले अजित कुमार को चोरी के एक मामले में पूछताछ के लिए थिरुपुवनम पुलिस ने हिरासत में लिया था। एक 42 वर्षीय महिला ने शिकायत की थी कि मंदिर में दर्शन के दौरान उनकी कार से 80 ग्राम सोने के गहने गायब हो गए। महिला ने अजित से अपनी कार पार्क करने में मदद मांगी थी, लेकिन अजित को गाड़ी चलाना नहीं आता था, इसलिए उन्होंने किसी और की मदद ली। परिवार का दावा है कि अजित को पुलिस ने दोबारा हिरासत में लिया और बेरहमी से पीटा, जिसके बाद उनकी मौत हो गई। उनके भाई नवीन ने बताया कि पुलिस ने हमें गाड़ी में बांधकर पीटा। अजित को गला घोंटकर और पीटकर मार डाला। उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था।
मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया। हाई कोर्ट ने पूछा, “क्या अजित आतंकी थे कि उन्हें इतनी बर्बरता से मारा गया?” पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अजित के शरीर पर 44 चोटें पाई गईं, जिसमें सिर और छाती पर गंभीर चोटें शामिल हैं। इस बीच, पांच पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया है और छह को निलंबित कर दिया गया है।
विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर डीएमके सरकार पर निशाना साधा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नैनार नागेंद्रन ने स्टालिन के माफी मांगने को “नाटक” करार देते हुए कहा कि डीएमके शासन में हिरासत में 24 मौतें हो चुकी हैं। उन्होंने सवाल उठाया, “अजित को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने क्यों नहीं पेश किया गया? उनकी लाश को सरकारी अस्पतालों के बजाय निजी अस्पताल में क्यों ले जाया गया?” एआईएडीएमके नेता ए. पलानीस्वामी ने भी न्यायिक जांच और मुआवजे की मांग की।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने अजित के परिवार से फोन पर बात की और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। उन्होंने पुलिस को चेतावनी दी कि हिरासत में मौत, महिलाओं की सुरक्षा में लापरवाही या नशीले पदार्थों के मामलों में सख्त कार्रवाई होगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ आर बी चौधरी