सामरिक भविष्य के लिए सामग्रियों में आत्मनिर्भरता जरूरी : डॉ सारस्वत
पूर्वी सिंहभूम, 2 जुलाई (हि.स.)। भारत के सामरिक और तकनीकी भविष्य को आकार देने के लिए महत्वपूर्ण सामग्रियों में आत्मनिर्भरता अत्यंत आवश्यक है। यह बात नीति आयोग के सदस्य और पद्म भूषण से सम्मानित वैज्ञानिक डॉ विजय कुमार सारस्वत ने कही। वे बुधवार को सीएस
एन एम एल के प्लेट नियम जूबली पर व्याख्यान


एन एम एल के प्लैटिनम जोगनी पर व्याख्यान


पूर्वी सिंहभूम, 2 जुलाई (हि.स.)। भारत के सामरिक और तकनीकी भविष्य को आकार देने के लिए महत्वपूर्ण सामग्रियों में आत्मनिर्भरता अत्यंत आवश्यक है। यह बात नीति आयोग के सदस्य और पद्म भूषण से सम्मानित वैज्ञानिक डॉ विजय कुमार सारस्वत ने कही। वे बुधवार को सीएसआइआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल) के प्लेटिनम जुबली व्याख्यान श्रृंखला के पांचवें व्याख्यान में संबोधित कर रहे थे।

उल्लेखनीय है कि एनएमएल अपनी स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में प्लेटिनम जुबली वर्ष मना रही है।

इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत एनएमएल के निदेशक डॉ संदीप घोष चौधरी के स्वागत संबोधन से हुई।

डॉ सारस्वत ने भारत के सामरिक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण सामग्री विषय पर ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन बैटरियों और पवन टरबाइन जैसे टिकाऊ प्रौद्योगिकी घटकों के निर्माण में इन सामग्रियों का उपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने रणनीतिक सामग्रियों की कमी, वैश्विक आपूर्ति शृंखला, शोधन परिदृश्य और भारत के सामने उत्सर्जन से जुड़ी चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। डॉ सारस्वत ने राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन 2025 की रूपरेखा, वर्तमान पहलों और प्रस्तावित नीतिगत ढांचों के बारे में बताया, जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को सुनिश्चित करना है।

उन्होंने कहा कि एनएमएल निम्न श्रेणी के अयस्क प्रसंस्करण, द्वितीयक संसाधन मूल्यांकन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रयोग से उत्पादन और उपयोग को अनुकूलित करने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है। व्याख्यान के अंत में डॉ सारस्वत ने एनएमएल के साथ अपने दीर्घकालिक जुड़ाव को याद किया और संस्थान की शोध उपलब्धियों की सराहना की।

कार्यक्रम का समापन रोचक प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जिसमें शोधकर्ताओं, उद्योग विशेषज्ञों और छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद पाठक