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धर्मशाला, 02 जुलाई (हि.स.)।
तिब्बती धर्मगुरु 14वें दलाई लामा तेंजिन ग्यात्सो ने कहा कि दलाई लामा की संस्था पूर्व की भांति जारी रहेगी। बौद्ध धर्मगुरू ने बुधवार को घोषणा की कि उनके पुनर्जन्म को लेकर मान्यता देने का एकमात्र अधिकार दलाई लामा के कार्यालय यानि गादेन फोडरंग ट्रस्ट के पास है। इस मामले में हस्तक्षेप करने का किसी और को कोई अधिकार नहीं है। ऐसा कह कर उन्होंने चीन को भी कड़ा संदेश दे दिया है, क्योंकि चीन कई बार दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर बयानबाजी करता रहता है।
उधर इस घोषणा के संबंध में दलाई लामा का बयान बुधवार को मैक्लोडगंज में आयोजित 15वें तिब्बती धार्मिक सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के दौरान सुनाया गया। जिसका दुनिया भर के विभिन्न देशों को कई दिनों से इंतजार था।
गौरतलब है कि दलाईलामा के पुर्नजन्म को लेकर घोषणा संबंधी कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। यह भी कहा जा रहा था कि 14वें दलाईलामा अगले यानि 15वें दलाईलामा की घोषणा कर सकते हैं। लेकिन फिलहाल इन अटकलों पर भी विराम लग गया है। अभी इसके लिए और इंतजार करना होगा।
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के धर्म और संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन दिवस पर करीब 180 धार्मिक हस्तियों और विभिन्न तिब्बती संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। अपने पुनर्जन्म के संवेदनशील मुद्दे पर दलाई लामा ने इस बात पर जोर दिया कि उनके 2011 के बयान में प्रक्रिया स्पष्ट रूप से बताई गई है। उन्होंने कहा, ऐसा करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से गादेन फोडरंग ट्रस्ट के सदस्यों पर होगी। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुखों और दलाई लामा वंश से जुड़े शपथबद्ध धर्म रक्षकों के साथ परामर्श के बाद निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में किसी और को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।
1969 और 2011 के अपने पहले के बयानों पर विचार करते हुए, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता ने कहा कि दलाई लामा संस्था को जारी रखने का निर्णय अंतत: सामूहिक परामर्श के माध्यम से किया जाएगा। उन्होंने पहले कहा था, जब मैं 90 वर्ष का हो जाऊंगा, तो हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि संस्था को जारी रखना चाहिए या नहीं। दलाई लामा ने अपने बयान में यह भी खुलासा किया कि पिछले 14 वर्षों में, उन्हें हिमालय, मंगोलिया, रूस, चीन और विशेष रूप से तिब्बत के अंदर के क्षेत्रों से तिब्बती धार्मिक नेताओं, सांसदों, नागरिक समाज और बौद्ध समुदायों से बार-बार अपील मिली है, जिसमें उनसे संस्था को जारी रखने का आग्रह किया गया है।
मैक्लोडगंज में 15वें तिब्बती धार्मिक सम्मेलन में 121 तिब्बती बौद्ध नेता एकत्रित हुए और प्रमुख आध्यात्मिक तथा सैद्धांतिक मामलों पर विचार-विमर्श किया गया। यह 6 जुलाई को दलाई लामा के 90वें जन्मदिन समारोह से पहले होने वाले महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में से एक है, ऐसे में हजारों लोगों के मैक्लोडगंज शहर में एकत्र होने की उम्मीद है।
सम्मेलन में तीन प्रस्ताव पारित
उधर सम्मेलन में तीन प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए। इस दौरान 15वें तिब्बती धार्मिक सम्मेलन ने दलाई लामा के पुनर्जन्म और धार्मिक संस्था की निरंतरता पर उनके शब्दों का समर्थन करने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया। वहीं पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना द्वारा अपने राजनीतिक लाभ के लिए पुनर्जन्म विषय के उपयोग की निंदा की गई और इसे स्वीकार न करने की शपथ ली गई, जिसमें कहा गया कि दलाई लामा के पुनर्जन्म को मान्यता देने की मूल प्रक्रिया अद्वितीय तिब्बती बौद्ध परंपरा के अनुसार है। इसके अलावा तिब्बत के अंदर और बाहर के तिब्बतियों ने राष्ट्रीय एकता बनाए रखने तथा दलाई लामा की महान इच्छाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए पूरे दिल से सहयोग देने के लिए तिब्बत के न्यायपूर्ण मुद्दे के लिए संघर्ष जारी रखने की शपथ ली है।
हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया