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नई दिल्ली, 02 जुलाई (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने सार्वजनिक शौचालयों के जर्जर हालत पर दिल्ली नगर निगम, दिल्ली विकास प्राधिकरण और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद को फटकार लगाई है। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली के नगर निकायों की ओर से सार्वजनिक शौचालयों के रखरखाव में असंवेदनशीलता बरती जा रही है।
एनजीओ जन सेवा वेलफेयर सोसायटी ने दायर याचिका में दिल्ली के सभी सार्वजनिक शौचालयों के रखरखाव पर चिंता व्यक्त की है। याचिका में सार्वजनिक शौचालयों की साफ-सफाई, साफ पानी और बिजली की दयनीय हालत पर कोर्ट का ध्यान खींचा गया है।
कोर्ट के पहले के आदेश के बाद नगर निकायों ने सार्वजनिक शौचालयों के रखरखाव को लेकर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने नगर निकायों की ओर से पेश स्टेटस रिपोर्ट में से सार्वजनिक शौचालयों के कुछ फोटोग्राफ को दिखाया। तब कोर्ट ने कहा कि इन शौचालयों को रखरखाव की प्राथमिक जिम्मेदारी नगर निकायों की है। सभी नगर निकायों की स्थापना करते समय विधायिका ने सार्वजनिक हित का ध्यान रखा था, लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि नगर निकाय अपनी भूमिका निभाने में नाकाम रहे हैं।
कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक शौचालयों की खराब स्थिति का सबसे बुरा खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ता है। ऐसे में सार्वजनिक शौचालयों के बेहतर रखरखाव के लिए नगर निकायों की ओर से उच्चस्तरीय योजना बनाने की जरुरत है। इसके लिए नगर निकाय विशेषज्ञों की मदद ले सकते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
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हिन्दुस्थान समाचार / अमरेश द्विवेदी