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प्रयागराज, 2 जुलाई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फेसबुक पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट और भारत की हार व पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय विमान को नष्ट करने से संबंधित सामग्री का वीडियो पोस्ट करने के आरोपी अशरफ खान उर्फ निसरत की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि कुछ लोगों के बीच अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में सोशल मीडिया का दुरुपयोग करना एक फैशन बन गया है, जिसमें वे उच्च प्रतिष्ठित व्यक्तियों के खिलाफ निराधार आरोप लगाते हैं। ऐसी सामग्री पोस्ट करते हैं जो लोगों के बीच वैमनस्य और घृणा पैदा करती है।
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने अशरफ खान उर्फ निसरत की जमानत अर्जी खारिज करते हुए की है।
कोर्ट ने कहा कि हमारा संविधान प्रत्येक नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है लेकिन यह स्वतंत्रता किसी व्यक्ति को भारत के प्रधानमंत्री, भारतीय सेना और उसके अधिकारियों के प्रति असम्मानजनक वीडियो और अन्य पोस्ट करने की अनुमति नहीं देती, जो एक ओर भारत के लोगों के बीच वैमनस्य पैदा करती है और दूसरी ओर अलगाववाद को बढ़ावा देने व भारत की संप्रभुता, एकता एवं अखंडता को खतरे में डालने के दायरे में आती है।
जमानत याचिका में याची को हाथरस के सासनी थाने में दर्ज मुकदमे के विचारण के दौरान जमानत पर रिहा करने की मांग की गई थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार याची ने भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अपने फेसबुक आईडी पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह के खिलाफ आपत्तिजनक संपादित वीडियो अपलोड किया था। एक अन्य पोस्ट में पाकिस्तान वायुसेना जिंदाबाद का जिक्र किया गया है और यह भी दिखाया गया है कि पाकिस्तान के विमानों द्वारा भारतीय विमानों को नष्ट किया जा रहा है और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व प्रधानमंत्री के खिलाफ अन्य आपत्तिजनक पोस्ट भी की गई है।
जमानत के समर्थन में कहा गया कि याची निर्दोष है और उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है। प्रधानमंत्री व विंग कमांडर के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट और भारत की हार और पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय विमान को नष्ट करने से संबंधित सामग्री याची ने फॉरवर्ड नहीं की है। हालांकि यह उसके मोबाइल में पाई गई है। यह भी कहा गया कि इसे शाहरुख नामक व्यक्ति ने फॉरवर्ड किया था, जिसने अन्य लोगों से इस पोस्ट को अन्य व्यक्तियों के साथ साझा करने का अनुरोध किया था। याची किसी भी तरह से इस घटना में शामिल नहीं है।
सरकारी वकील ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर इस तरह की पोस्ट भारत के लोगों के बीच वैमनस्य पैदा करती है और भारतीय सेना व भारतीय वायु सेना के प्रति भी अनादर प्रदर्शित करती है। इसलिए याची जमानत पर रिहा होने का हकदार नहीं है।
सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले के तथ्यों व परिस्थितियों पर विचार करते हुए और याची द्वारा सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट की प्रकृति, जो न केवल देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ बल्कि भारतीय सेना और उसके अधिकारियों के खिलाफ भी अनादर दर्शाता है, को ध्यान में रखते हुए इस स्तर पर याची को जमानत पर रिहा करने के लिए उपयुक्त मामला नहीं पाते हुए अर्जी खारिज कर दी।
हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे