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जयपुर, 2 जुलाई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने कोविड-2019 महामारी के चलते अनाथ हुए युवक को अनुकंपा नियुक्ति नहीं देने पर संयुक्त कार्मिक सचिव, विशेष राजस्व सचिव और दौसा कलेक्टर से जवाब तलब किया है। जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश प्रतीक चौहान की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि कोविड के चलते अनाथ होने पर अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रावधान होने के बावजूद प्रार्थी युवक को इसका लाभ क्यों नहीं दिया गया है।
याचिका में अधिवक्ता विवेक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की मां की मौत कोविड-19 के दौरान हुई थी। वहीं उसके पिता की मृत्यु साल 2019 में पहले ही हो चुकी थी। याचिकाकर्ता अपने माता-पिता की इकलौती संतान था और उसके परिवार में कोई सरकारी सेवा में भी नहीं है। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार के कार्मिक विभाग ने इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की थी। जिसमें कहा गया था कि कोविड-19 के दौरान जो लोग अनाथ हुए हैं, उन्हें अनुकंपा नियुक्ति दी जाएगी। इस अधिसूचना के आधार पर याचिकाकर्ता ने दौसा जिला कलेक्टर के समक्ष अनुकंपा नियुक्ति देने के लिए आवेदन किया। जिला कलेक्टर ने उसके अनुकंपा आवेदन का अभी तक निस्तारण नहीं किया है और ना ही उसे अनुकंपा नियुक्ति ही दी है। इसलिए राज्य सरकार से उसकी अधिसूचना की पालना करवाई जाए और याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक