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इंदौर, 02 जुलाई (हि.स.)। इंदौर शहर के शिवाजी नगर क्षेत्र में रहने वाले दो भाई-बहन– साधना मस्के और मिलिंद आगवान के बीच वर्षों से पारिवारिक संपत्ति को लेकर चला आ रहा विवाद अंततः सुलझ गया। इस विवाद का समाधान उच्च न्यायालय के सहयोग से कलेक्टर कार्यालय में स्थापित मध्यस्थता केंद्र के माध्यम से कराया गया। यह समझौता पारिवारिक समरसता, कानूनी जागरूकता और मध्यस्थता व्यवस्था की एक प्रेरणादायक मिसाल बन गया है।
जनसम्पर्क अधिकारी महिपाल अजय ने बुधवार को जानकारी देते हुए बताया कि शिवाजी नगर स्थित एक मकान की संपत्ति मिलिंद और साधना के पिता स्वर्गीय तुकाराम आगवान के नाम थी, जो उनके निधन के बाद उनके दोनों भाई-बहन के बीच विवाद का कारण बन गई थी। वर्षों से इस मकान के स्वामित्व को लेकर असहमति बनी हुई थी, जिससे दोनों पक्षों के रिश्तों में खटास आ गई थी। साधना मस्के द्वारा कलेक्टर आशीष सिंह को जनसुनवाई में अपने विवाद निराकरण संबंधी आवेदन प्रस्तुत किया। कलेक्टर ने यह आवेदन निराकरण के लिए मध्यस्थता केन्द्र को भेजा। केन्द्र द्वारा दोनों पक्षों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया। कई दौर की शांतिपूर्ण बातचीत के बाद, दोनों भाई-बहन आपसी सहमति पर पहुँचे। भाई ने संपत्ति का हक त्याग किया। समझौते के अनुसार, उक्त संपत्ति का स्वामित्व साधना मस्के के नाम स्थानांतरित किया गया तथा इसके बदले में उन्होंने अपने भाई मिलिंद आगवान को 7 लाख 50 हजार रुपये की राशि चेक के माध्यम से प्रदान की।
समझौते के अनुसार मिलिंद आगवान भविष्य में उक्त संपत्ति पर किसी प्रकार का दावा नहीं करेंगे। समझौते की वैधता हेतु दोनों पक्षों ने पूर्ण स्वेच्छा और संतोष के साथ दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किए। समझौता कराने में मध्यस्थता केन्द्र के सदस्य दिलीप गर्ग, हेमराज वाड़िया, पुरूषोत्तम यादव, दीप्ति शेरे आदि का योगदान रहा। इस समझौते के माध्यम से सिर्फ एक कानूनी विवाद का अंत नहीं हुआ, बल्कि भाई-बहन के बीच वर्षों बाद स्नेह, संवाद और विश्वास की वापसी हुई। यह दर्शाता है कि परिवारों में होने वाले संपत्ति विवादों को भी शांति, सहमति और उचित मार्गदर्शन से सुलझाया जा सकता है।
इस सफलता में इंदौर जिला प्रशासन, मध्यस्थता समिति तथा उच्च न्यायालय के निर्देशों की अहम भूमिका रही। कलेक्टर कार्यालय स्थित मध्यस्थता केंद्र ने एक शांतिपूर्ण समाधान सुनिश्चित कर न सिर्फ न्याय सुलभ किया बल्कि पारिवारिक रिश्तों को भी टूटने से बचाया। यह एक उदाहरण है कि कानूनी व्यवस्था के सहयोग से पारिवारिक विवादों का समाधान केवल अदालतों में नहीं, संवाद और समझौते से भी संभव है। यह पहल समाज में सौहार्द और न्याय की नई मिसाल पेश करती है।
कलेक्टर आशीष सिंह की पहल पर कलेक्टर कार्यालय में स्थापित मध्यस्थता केन्द्र के उल्लेखनीय परिणाम सामने आ रहे हैं। इस केन्द्र में अभी तक 585 आवेदन समझौते के लिये भेजे गये। इसमें से 310 आवेदनों का समझौतों के माध्यम से निराकरण सुनिश्चित किया गया। वर्तमान में 141 प्रकरण अन्य न्यायालयों में प्रचलित है। शेष प्रकरणों के निराकरण की कार्रवाई जारी है।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर