छितौना विवाद ने पकड़ा सियासी रंग, करणी सेना और क्षत्रिय महासभा का प्रदर्शन, प्रशासन सख्त
— पुलिस ने चांदपुर में करणी सेना को रोका, गांव में धारा 163 लागू, सुरक्षा चाक-चौबंद वाराणसी, 15 जुलाई (हि.स.)। चौबेपुर थाना क्षेत्र के छितौना गांव में हुए विवाद और हिंसक मारपीट का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। बीते दिनों हुई हिंसक झड़प के बाद अब यह
संदहा में पुलिस अफसर


— पुलिस ने चांदपुर में करणी सेना को रोका, गांव में धारा 163 लागू, सुरक्षा चाक-चौबंद

वाराणसी, 15 जुलाई (हि.स.)। चौबेपुर थाना क्षेत्र के छितौना गांव में हुए विवाद और हिंसक मारपीट का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। बीते दिनों हुई हिंसक झड़प के बाद अब यह विवाद सियासी रंग ले चुका है। राजभर और राजपूत समुदायों के बीच तनाव को देखते हुए गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है। मंगलवार को छितौना गांव में जाने से रोके जाने पर करणी सेना और क्षत्रिय महासभा के कार्यकर्ताओं ने संदहा हाईवे पर जमकर प्रदर्शन किया और पुलिस से धक्का-मुक्की भी हुई। प्रदर्शन के दौरान भीड़ में शामिल एक युवक ने एसीपी दशाश्वमेध अतुल अंजान त्रिपाठी की वर्दी से बिल्ला नोच लिया। हालांकि, पुलिस अधिकारियों ने संयम बरतते हुए स्थिति को काबू में किया। इस पूरे घटनाक्रम में करणी सेना और क्षत्रिय महासभा का निशाना बने सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव अरविंद राजभर और कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर। आरोप है कि अरविंद राजभर की मौजूदगी में सुभासपा कार्यकर्ताओं ने करणी सेना और क्षत्रिय समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया था, जिसके विरोध में राजपूत संगठन लामबंद हो गए हैं।

—प्रशासन ने की सख्त कार्रवाई

तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार और अपर पुलिस आयुक्त शिवहरि मीणा ने सोमवार शाम करणी सेना और क्षत्रिय महासभा के प्रतिनिधियों के साथ सर्किट हाउस में बैठक की। प्रशासन ने निष्पक्ष जांच और 48 घंटे में कार्रवाई का भरोसा दिलाया। इसके बाद करणी सेना ने मंगलवार का प्रस्तावित प्रदर्शन स्थगित कर दिया, जबकि क्षत्रिय महासभा के पदाधिकारी बैठक से असंतुष्ट होकर बाहर निकल गए।

—गांव में धारा 163 लागू, सभा पर रोक

प्रशासन ने छितौना गांव में भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 लागू करते हुए किसी भी सभा, प्रदर्शन और शक्ति प्रदर्शन पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। सभी राजनीतिक और सामाजिक कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। पीड़ित परिवारों से मुलाकात भी सिर्फ एक या दो लोगों को ही करने की अनुमति है।

—क्या है मामला

5 जुलाई को छितौना गांव के खेत में नीलगाय घुसने के बाद भोला राजभर और संजय सिंह के परिवारों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद राजभर समाज के लोग धरने पर बैठ गए और प्रशासन से कार्रवाई की मांग की। इस विवाद में संजय सिंह के खिलाफ केस दर्ज हुआ, जिससे राजपूत समाज और करणी सेना उनके समर्थन में आ गई। इसके जवाब में अरविंद राजभर और अनिल राजभर के नेतृत्व में सुभासपा कार्यकर्ता गांव पहुंचे और करणी सेना के खिलाफ नारेबाजी की। इस घटना के बाद तनाव और गहरा गया।

—सोशल मीडिया पर भी पाबंदी

प्रशासन ने दोनों पक्षों को आगाह किया है कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ या किसी समुदाय विशेष के प्रति विद्वेष फैलाने वाली पोस्ट न की जाए। यदि किसी के पास विवाद से जुड़ा कोई साक्ष्य है, तो उसे एसआईटी को सौंपने की अपील की गई है। छितौना में बीते दिनों भूमि विवाद में दो पक्षों के बीच हुई मारपीट के बाद पूरे मामले को राजनीतिक रूप देने की कोशिश को देख वहां के ग्रामीण भी परेशान हैं। ग्रामीणों ने गांव में इस मामले में राजनीति न करने का संदेश लिखा बैनर कई स्थानों पर लगाया है।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी