जम्मू-कश्मीर शहीदों के कब्रिस्तान की ओर जाने वाली सड़कें सील, नेशनल कॉन्फ्रेंस का कहना है कि नेताओं को किया नज़रबंद
श्रीनगर, 13 जुलाई हि.स.। रविवार को पुराने शहर के नौहट्टा इलाके में शहीदों के कब्रिस्तान की ओर जाने वाली सभी सड़कों को सील कर दिया। वहीं, सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस ने दावा किया कि उसके कई नेताओं को नज़रबंद कर दिया गया है। शहीद दिवस के अवसर पर कानून-व्य
जम्मू-कश्मीर शहीदों के कब्रिस्तान की ओर जाने वाली सड़कें सील, नेशनल कॉन्फ्रेंस का कहना है कि नेताओं को किया नज़रबंद


श्रीनगर, 13 जुलाई हि.स.। रविवार को पुराने शहर के नौहट्टा इलाके में शहीदों के कब्रिस्तान की ओर जाने वाली सभी सड़कों को सील कर दिया। वहीं, सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस ने दावा किया कि उसके कई नेताओं को नज़रबंद कर दिया गया है।

शहीद दिवस के अवसर पर कानून-व्यवस्था की समस्या की आशंका के चलते श्रीनगर शहर की ओर जाने वाले सभी प्रवेश बिंदुओं पर पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया था।

अधिकारियों ने बताया कि प्रवेश बिंदुओं पर लगाए गए बैरिकेड्स को केवल अधिकारियों और सुरक्षा बलों के वाहनों को ही पार करने की अनुमति थी।

नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने 13 जुलाई, 1931 के शहीदों को श्रद्धांजलि देने की अनुमति के लिए श्रीनगर के ज़िला मजिस्ट्रेट को आवेदन दिया था।

हालाँकि, ज़िला प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया।

श्रीनगर पुलिस ने एक्स पर जारी एक सार्वजनिक परामर्श में कहा कि श्रीनगर ज़िला प्रशासन ने 13 जुलाई, 2025 (रविवार) को ख्वाजा बाज़ार, नौहट्टा की ओर जाने वाले सभी आवेदकों को अनुमति देने से इनकार कर दिया है।

पुलिस ने कहा कि जनता को इन निर्देशों का पालन करने और ज़िला प्रशासन द्वारा जारी आदेशों का उल्लंघन करने से बचने की सलाह दी जाती है।

पुलिस ने चेतावनी दी है कि इन आदेशों का कोई भी उल्लंघन कानून के संबंधित प्रावधानों के तहत कड़ी कानूनी कार्रवाई को आमंत्रित करेगा।

एनसी ने अनुमति न दिए जाने को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया। एनसी के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने कहा कि 13 जुलाई कोई सामान्य तारीख नहीं है।

सादिक ने एक्स पर कहा कि यह सम्मान, न्याय और अधिकारों की खोज में दिए गए बलिदानों की एक गंभीर याद दिलाता है।

सादिक ने आगे कहा कि कश्मीर के लोग शांतिपूर्वक, गरिमा के साथ और अटूट संकल्प के साथ अपने शहीदों का सम्मान करते रहेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / राधा पंडिता