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कोलकाता, 10 जुलाई (हि.स.) ।
पश्चिम बंगाल पुलिस की विशेष कार्यबल (एसटीएफ) को हाल ही में गिरफ्तार किए गए संदिग्ध आईएसआई एजेंटों के नेटवर्क को लेकर चौंकाने वाली जानकारियां हाथ लगी हैं। पुलिस ने इस हफ्ते की शुरुआत में मुकेश रजक और राकेश कुमार गुप्ता को गिरफ्तार किया था, जो कथित तौर पर पाकिस्तान के हैंडलरों को भारतीय मोबाइल नंबर उपलब्ध कराने में मदद कर रहे थे। पूछताछ में दोनों ने इस बात को स्वीकार किया है कि वे कई भारतीय पहचान पत्रों का इस्तेमाल कर बाज़ार से प्रीपेड सिम कार्ड खरीदते थे, जिनका इस्तेमाल व्हाट्सएप अकाउंट सक्रिय करने के लिए किया जाता था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, आरोपित सक्रिय व्हाट्सएप नंबर पाकिस्तान भेजते थे और उससे पहले संबंधित ओटीपी भी हैंडलरों को साझा करते थे। इससे पाकिस्तान स्थित एजेंट भारतीय मोबाइल नंबरों से व्हाट्सएप अकाउंट चलाते थे, जिससे उन पर किसी को संदेह नहीं होता।
खास बात यह है कि यह पूरा ऑपरेशन पूर्व बर्दवान ज़िले के मेमारी इलाके में चलाया जा रहा था, जो आमतौर पर अपराध के लिए कुख्यात नहीं माना जाता। दोनों आरोपितों ने एक किराए के फ्लैट में रहकर खुद को एक स्वयंसेवी संगठन (एनजीओ) के प्रतिनिधियों के तौर पर पेश किया था। मकान मालिक को उन्होंने खुद को अंग्रेज़ी शिक्षक बताया, जबकि पड़ोसियों से उन्होंने कहा कि वे सामाजिक कल्याण में लगे एक एनजीओ के मुखिया हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार, रजक और गुप्ता आम तौर पर सौम्य व्यवहार वाले दिखते थे और ज्यादा मेलजोल नहीं रखते थे। हालांकि, समय-समय पर कुछ अनजान लोग उनसे मिलने आया करते थे और कुछ समय उनके साथ रहते थे।
जानकारी के अनुसार, मुकेश रजक पश्चिम बर्दवान ज़िले के पानागढ़ का निवासी है जबकि राकेश गुप्ता दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर इलाके का रहने वाला है। पुलिस को शक है कि ये दोनों किसी बड़े जासूसी नेटवर्क का हिस्सा हैं, जो भारत से संवेदनशील सूचनाएं पाकिस्तान तक पहुंचाने का काम कर रहा है।
फिलहाल दोनों आरोपितों के मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए हैं। एसटीएफ की टीम यह पता लगाने में जुटी है कि ये लोग कब से आईएसआई के लिए काम कर रहे थे और उन्होंने अब तक किन-किन सूचनाओं को साझा किया है। पुलिस के अनुसार, इस गिरोह के और भी सदस्य हो सकते हैं जिनकी तलाश की जा रही है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर