वेद भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं : स्वामी अमर ज्योति
धर्मशाला, 10 जुलाई (हि.स.)। कांगड़ा जिला में वीरवार को गुरुपूर्णिमा के मौके पर कई जगह कार्यक्रम आयोजित किये गए। इसी कड़ी में पालमपुर उपमंडल के तहत कंडवाडी स्थित महावतार बाबा मेडिटेशन सेंटर ट्रस्ट में वीरवार को गुरु पूर्णिमा पर विशेष यज्ञ का आयोजन किया
वेद भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं : स्वामी अमर ज्योति


धर्मशाला, 10 जुलाई (हि.स.)। कांगड़ा जिला में वीरवार को गुरुपूर्णिमा के मौके पर कई जगह कार्यक्रम आयोजित किये गए। इसी कड़ी में पालमपुर उपमंडल के तहत कंडवाडी स्थित महावतार बाबा मेडिटेशन सेंटर ट्रस्ट में वीरवार को गुरु पूर्णिमा पर विशेष यज्ञ का आयोजन किया गया। योगीराज स्वामी अमर ज्योति की उपस्थिति में आयोजित यज्ञ में देश-विदेश से श्रद्धालु शामिल हुए। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और अन्य राज्यों से पहुंचे श्रद्धालुओं ने विश्व शांति और मानव कल्याण के लिए आहुतियां दी। वैदिक मंत्रोच्चार से गूंजता वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर रहा। इस मौके पर योगीराज स्वामी अमर ज्योति ने वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वेद भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं। साधना, सेवा, स्वाध्याय और आत्मनिरीक्षण जीवन के चार मुख्य स्तंभ हैं। गुरु पूर्णिमा आत्मचिंतन का पर्व है। स्वामी ने वेदों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि ऋग्वेद ज्ञान का, यजुर्वेद कर्म का, सामवेद भक्ति का और अथर्ववेद विज्ञान का प्रतीक है। वेदों में चिकित्सा, ज्योतिष, गणित से लेकर प्रकृति तक के विषय शामिल हैं। उन्होंने यज्ञ के महत्व को समझाते हुए कहा कि यज्ञ में प्रयुक्त सामग्री वायुमंडल को शुद्ध करती है। मंत्रोच्चार से उत्पन्न तरंगें मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि में सहायक हैं। यज्ञ परमात्मा को समर्पण का प्रतीक है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

स्वामी ने बताया कि वेदों का सार उपनिषदों में समाया है, जिन्हें वेदांत कहा जाता है। उपनिषद आत्मा, ब्रह्म और मोक्ष पर केंद्रित हैं। ये गुरु-शिष्य परंपरा में मौखिक रूप से संप्रेषित हुए हैं। उन्होंने चार वेदों से जुड़े चार महावाक्यों का उल्लेख किया।

इस दौरान सामूहिक ध्यान, भजन और प्रवचन ने श्रद्धालुओं को गहरे आत्मिक अनुभव की ओर अग्रसर किया। श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्हें भीतर से असीम शांति और ऊर्जा की अनुभूति हुई। इसके बाद संजय नागपाल ने अपने भजनों से गुरु की महिमा का गुणगान किया। कार्यक्रम का समापन प्रसाद वितरण और गुरु चरणों में कृतज्ञता अर्पण के साथ हुआ। गौर हो कि उस आश्रम में हर साल गुरुपूर्णिमा के अवसर पर इसी तरह से यज्ञ अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है जिसमें देश विदेश से बड़ी संख्या में गुरु के शिष्य हिस्सा लेते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया