झाबुआ: जिले के कृषक भी हो रहे हैं, प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर; निर्मित किए जा रहे है मूलभूत आदान
झाबुआ, 10 जुलाई (हि.स.)। भारत सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत स्थापित राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन से प्रभावित होकर जिले के कृषक भी प्राकृतिक खेती की ओर रुख करते हुए अपेक्षा कृत कम
प्राकृतिक खेती कर रहे किसान के खेत पर पहुंची कलेक्टर


किसान ने बताए उपादान


किसान ने उपादान दिखाए


झाबुआ, 10 जुलाई (हि.स.)। भारत सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत स्थापित राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन से प्रभावित होकर जिले के कृषक भी प्राकृतिक खेती की ओर रुख करते हुए अपेक्षा कृत कम खर्चिली एवं पर्यावरण हितैषी खेती की इस तकनीक से लाभान्वित हो रहे हैं। जिले के ग्राम खेड़ी मे प्राकृतिक खेती कर रहे किसान विमल भाबोर एक ऐसे ही किसान हैं, जो अपने खेत पर प्राकृतिक खेती के लिये आवश्यक मूलभूत आदान जैसे बीजांमृत, घनांमृत, जीवांमृत, ब्रम्हास्त्र, नीमास्त्र जैसे अदानों को निर्मित कर प्राकृतिक रूप से की जाने वाली खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

जिला कलेक्टर नेहा मीना गुरुवार को जिले के ग्राम खेड़ी मे प्राकृतिक खेती कर रहे किसान विमल भाबोर के खेत पर पहुंची। कलेक्टर ने कृषक के खेत का भ्रमण किया, ओर किसान से प्राकृतिक खेती आदान निर्माण की विधियों तथा उपयोग पर विस्तृत चर्चा की। कृषक विमल भाबोर ने जिला कलेक्टर को बताया कि उनके खेत पर जीवांमृत, नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र जैसे अदानों को निर्मित किया जा रहा है। कलेक्टर नेहा मीना ने विमल भाबौर को कहा कि राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के अंतर्गत बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर की यूनिट उनके यहां स्थापित की जाएगी, जिससे कि प्राकृतिक खेती हेतु चयनित क्लस्टर के किसानों को जैविक आदान सुलभता से उपलब्ध हो सके। कलेक्टर ने किसान को कहा कि वह आदान निर्माण की विधियों एवं प्रक्रियाओं को अन्य किसानों को भी सीखा कर प्राकृतिक खेती के महत्व को समझाने को कहा।

जिला कलेक्टर के भ्रमण के दौरान उप संचालक कृषि, झाबुआ एन.एस.रावत, सहायक संचालक उद्यानिकी बी.एस. चौहान, अनुविभागीय कृषि अधिकारी एल एस चारेल, उप संचालक आत्मा, परियोजना एम. एस. धार्वे सहित कृषि विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

गौरतलब है कि भारत सरकार द्वारा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन प्रारम्भ किया गया है। जिसका उद्देश्य सभी के लिए सुरक्षित और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए प्राकृतिक खेती कार्य प्रणालियों को बढ़ावा देते हुए किसानों को खेती में आने वाली लागत को कम करना और बाहर से खरीदे गए संसाधनों पर निर्भरता को कम करना है। साथ ही प्राकृतिक खेती करने वाले कृषकों को सर्टिफिकेट देकर प्राकृतिक खेती का प्रमाणीकरण किया जाता हैं।

उप संचालक कृषि एन.एस.रावत, ने बताया कि जिले में कृषि विभाग द्वारा प्राकृतिक खेती जागरूकता, उन्मुखीकरण कार्यक्रम के माध्यम से कृषकों को प्राकृतिक खेती पद्धति के गुढ़ रहस्यों के साथ-साथ सैद्धांतिक और व्यवहारिक बारीकियों से भी अवगत करवाया जा रहा है। इसके अंतर्गत गोबर, गौ-मूत्र, गुड़, बेसन, चूना, सजीव मिट्टी के साथ-साथ नीम, करंज, धतुरा, सीताफल, पपीता, अरण्डी, अमरूद इत्यादि पत्तीयों के संयोजन से जीवांमृत, बीजांमृत, घनजीवांमृत, नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र का सजीव ढंग से निर्माण करने की विधि को बताया जा रहा है, साथ ही प्राकृतिक खेती के लिये आवश्यक मूलभूत आदान जैसे बीजांमृत, घनांमृत, जीवांमृत, ब्रम्हास्त्र, नीमास्त्र के नीर्माण की विधिया भी विकासखण्ड स्तर के मैदानी अमले द्वारा कृषकों सिखाई जा रही है।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. उमेश चंद्र शर्मा