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- पहले दिन आंगनवाड़ी में 5 वर्ष तक के बच्चों को सम्पूर्ण स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाएं दी जायेगी, उसके बाद घर-घर जाकर चलेगा अभियान
इन्दौर, 10 जुलाई (हि.स.)। इंदौर जिले में दस्तक अभियान का प्रथम चरण 22 जुलाई से 16 सितम्बर तक संपादित होगा। कलेक्टर आशीष सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को दस्तक अभियान के सफल क्रियान्वयन हेतु जिला टास्क फोर्स की बैठक हुई। बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. माधव हसानी, महिला बाल विकास अधिकारी, शहर काजी डॉ. इशरत अली सहित समस्त विकासखंड चिकित्सा अधिकारी एवं समस्त झोनल चिकित्सा अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में बताया गया कि 0 से 5 वर्ष तक की आयु के बच्चों की मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से स्टॉप डायरिया सह-दस्तक अभियान चलेगा। दस्तक अभियान का प्रथम चरण 22 जुलाई से 16 सितम्बर तक चलेगा। इस अभियान में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सहित कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर, एएनएम, आशा कार्यकर्ता, पंचायत सचिव, शिक्षक एवं महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी सेवाएं देंगे। अभियान के पहले दिन जिले की सभी आंगवाड़ियों में 5 वर्ष तक के बच्चों को सम्पूर्ण स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाएं दी जायेगी, उसके बाद यह अभियान घर-घर जाकर चलेगा। इस अभियान में करीब साढ़े चार लाख से अधिक बच्चों (0 से 5 वर्ष) को चिन्हित किया गया है, जिसमें से साढ़े तीन लाख से अधिक बच्चों को दस्तक पोर्टल पर रजिस्टर्ड कर लिया गया है। इस अभियान के तहत प्रत्येक बच्चों की गंभीर कुपोषण, एनीमिया, दस्त रोग, निमोनिया का परीक्षण किया जाएगा। प्रत्येक बच्चे को दो ओआरएस, 14 जिंक की गोली दी जाएगी तथा एक कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा जिसमें हाथ धोना, ओआरएस कैसे बनाना सिखाया जाएगा, जो बच्चे गंभीर होंगे, उन्हें पोषण पुर्नवास केन्द्र में इलाज के लिए भेजा जाएगा।
बैठक में कलेक्टर आशीष सिंह ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि स्टॉप डायरिया सह-दस्तक अभियान को संवेदनशीलता, ईमानदारी, पारदर्शिता, गुणवत्ता और प्राथमिकता के साथ संपादित करें। 5 वर्ष तक का कोई भी बालक इस अभियान से वंचित नहीं रहें, इसलिए प्रत्येक घर जाकर चिन्हाकित बच्चों के सम्पूर्ण स्वास्थ्य की जाँच करें। विशेषकर जो बच्चे कुपोषित है या एनीमिक है उन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग एवं शिक्षा विभाग समन्वय बनाकर कार्य करें, ताकि शत-प्रतिशत लक्ष्य की पूर्ति हो सकें। अधिकारी मैदान संभाले और कार्यस्थल पर जाकर अभियान की सतत मॉनिटरिंग करें और उसे दस्तक पोर्टल पर अपडेट करें। दस्तक अभियान की प्रगति की रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दें।
बताया गया कि बाल मृत्यु में कमी लाने हेतु साक्ष्य आधारित हस्तक्षेप में यदि हम बाल्यकालीन दस्त रोग में जिंक और ओआरएस घोल का उपयोग किया जाये, तो शिशु मृत्यु दर में 96 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। उचित शिशु एवं बाल आहार पूर्ति से शिशु मृत्यु दर में 20 प्रतिशत तक कमी की जा सकती है। गंभीर कुपोषण का संस्थागत प्रबंधन से बाल मृत्यु दर में 45 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। विटामिन-ए अनुपूरण, एनीमिया नियंत्रण तथा निमोनिया का संस्थागत प्रबंधन कर के क्रमशः 20 एवं 90 प्रतिशत कमी लाई जा सकती है। गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान तथा एनआरसी में रेफरल बाल्यकालीन निमोनिया को पहचानने हेतु लक्षणों का सरल चिन्हांकन, जन्मोपरांत शिशु द्वारा एक घंटे के भीतर स्तनपान तथा 06 माह तक केवल स्तनपान, 06 माह पश्चात अनुपूरक आहार एवं स्वच्छता संबंधी व्यवहार के बारे में विस्तार से समझाया जाएगा।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. माधव प्रसाद हसानी ने कहा कि इंदौर के नगरीय क्षेत्र की चुनौतियां अधिक हैं, किन्तु बाल स्वास्थ्य की गुणवत्ता को बनाए रखने एवं स्वास्थ्य सूचकांकों में उल्लेखनीय सुधार हेतु दस्तक अभियान का महत्व सर्व विदित है। अभियान के माध्यम से हम शिशु स्वास्थ्य संबंधित सूचकांकों को निजी क्षेत्रों की मदद से भी उन्नत करेंगे, क्योंकि इंदौर जिले की चुनौतियां अलग हैं, इन चुनौतियों का सामना करने के लिए इंदौर अलग तरह की रणनीति बनाकर कार्य करेगा।
जिला टीकाकरण नोडल डॉ. तरुण गुप्ता ने प्री-दस्तक कार्यशाला में अपना प्रस्तुतीकरण देते हुए अभियान पर विस्तार से प्रकाश डाला। इसके अंतर्गत माईक्रो प्लान एवं विभिन्न अधिकारी एवं कर्मचारियों के दायित्वों को भी बताया गया। लगभग 350 दस्तक दलों के माध्यम से सेवाएं प्रदान की जाएंगी, इस बार के दस्तक अभियान में यह एक रणनीतिक परिवर्तन किया गया कि प्रथम दिन सेवाएं VHND/UHND पर प्रदान की जायेगी तथा छूटे हुए बच्चों को अगले दो दिन दस्तक दल द्वारा सेवाएं दी जाएगी।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर