सोनीपत में स्कॉलरशिप पर दाखिला पर छात्राओं को परीक्षा में बिठाने से इनकार
शिक्षा को हर वर्ग तक पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा दी जा रही छात्रवृत्ति (स्कॉलरशिप) योजनाएं जहां कई होनहार विद्यार्थियों का सहारा बन रही हैं, वहीं कुछ निजी शिक्षण संस्थानों और दलालों की सांठगांठ ऐसे विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। स
सोनीपत: महलाना  रोड स्थित हैप्पी चाइल्ड कॉलेज ऑफ नर्सिंग


पुलिस पहुंची तो गायब हुई कांउसलर

सोनीपत, 10 जुलाई (हि.स.)। सरकार द्वारा दी जा

रही छात्रवृत्ति (स्कॉलरशिप) योजनाएं जहां कई होनहार विद्यार्थियों का सहारा बन रही

हैं, वहीं कुछ निजी शिक्षण संस्थानों और दलालों की सांठगांठ ऐसे विद्यार्थियों के भविष्य

के साथ खिलवाड़ कर रही है। सोनीपत के एक निजी नर्सिंग कॉलेज में सामने आया ताजा मामला

इसी ओर इशारा करता है।

सोनीपत के महलाना रोड स्थित हैप्पी चाइल्ड कॉलेज ऑफ नर्सिंग

में स्कॉलरशिप के आधार पर दाखिला लेने वाली चार छात्राओं को परीक्षा से वंचित कर दिया

गया। छात्राओं का आरोप है कि कॉलेज प्रशासन और दलालों की मिलीभगत से उनके साथ धोखाधड़ी

हुई। उनसे पहले 28 हजार रुपये लिए गए और सभी मूल दस्तावेज कॉलेज में जमा करवा लिए गए।

लेकिन परीक्षा से पूर्व रोल नंबर नहीं दिए गए और अब कॉलेज 80 हजार रुपये की फीस जमा

करने का दबाव बना रहा है।

छात्राएं जब दस्तावेज और रोल नंबर की मांग करने कॉलेज पहुंचीं

तो उन्हें दरकिनार कर दिया गया। पुलिस से संपर्क करने पर करनाल और सोनीपत पुलिस ने

जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डाल दी। अंततः डायल 112 पर पुलिस बुलाई गई, लेकिन कोई समाधान

नहीं निकल सका। मौके पर पहुंची पुलिस से बचने के लिए कॉलेज की काउंसलर चेतना फरार हो

गईं।

घरौंडा निवासी छात्रा आंचल ने गुरुवार को बताया कि उसने अनुसूचित

जाति श्रेणी के तहत वर्ष 2023 में दाखिला लिया था। छात्रवृत्ति मिलने की उम्मीद में

पढ़ाई शुरू की, लेकिन अब परीक्षा से रोक दिया गया। इसी तरह अन्य छात्राओं ने भी कहा

कि प्रवेश देते समय पैसा लिया गया, अब परीक्षा से वंचित करना अन्याय है।

कॉलेज प्रशासन का कहना है कि दलाल द्वारा शुल्क जमा नहीं किया

गया, जबकि छात्राओं के अनुसार उन्होंने कॉलेज कर्मियों की मौजूदगी में ही राशि दी थी।

कई छात्राओं से परीक्षा के दिन छात्रावास में रुकने के लिए भी दो हजार रुपये लिए गए।

दूसरी ओर जिन छात्राओं ने पहली वर्ष की फीस पूरी चुका दी थी, उनसे अब दूसरे वर्ष की

अग्रिम 60 हजार रुपये की मांग की जा रही है। चारों छात्राएं मजदूर परिवारों से हैं और स्कॉलरशिप ही उनका

एकमात्र सहारा थी। अब वे परीक्षा नहीं दे सकीं, दस्तावेज वापस नहीं मिले और अन्य कॉलेज

में प्रवेश का मार्ग भी बंद हो गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र शर्मा परवाना