आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जनरेटिव ए आई की आकर्षक दुनिया : प्रोफेसर मुकुल
प्रयागराज, 01 जुलाई (हि.स.)। पिछले दशक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए आई) ने हमारे जीने, काम करने और सोचने के तरीके में क्रांति ला दी है। प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स और इंटेलिजेंट ऑटोमेशन से लेकर सेल्फ-ड्राइविंग व्हीकल्स और हेल्थकेयर इनोवेशन तक, ए आई ने पह
सम्बोधित करते निदेशक


प्रयागराज, 01 जुलाई (हि.स.)। पिछले दशक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए आई) ने हमारे जीने, काम करने और सोचने के तरीके में क्रांति ला दी है। प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स और इंटेलिजेंट ऑटोमेशन से लेकर सेल्फ-ड्राइविंग व्हीकल्स और हेल्थकेयर इनोवेशन तक, ए आई ने पहले ही कई क्षेत्रों को बदल दिया है। आज, हम पारम्परिक ए आई से आगे बढ़कर जनरेटिव ए आई की आकर्षक दुनिया के एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर खड़े हैं।

उक्त विचार आईआईआईटी-ए के निदेशक प्रोफेसर मुकुल शरद सुतावने ने मंगलवार को झलवा परिसर में “एआई से जनरेटिव एआई तकः स्मार्ट टेक्नोलॉजी की शक्ति को पहचानना“ और “सेमी कंडक्टर्स से चिप्स तक : आईसी डिजाइन और फंडामेंटल्स (सेमचिप्स)“ विषय पर छह महीने के एआईसीटीई क्यूआईपी पीजी सर्टिफिकेट प्रोग्राम 2025 का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किया।

प्रोफेसर सुतावने ने कहा कि जैसा कि हम सभी जानते हैं, जनरेटिव एआई केवल डेटा का विश्लेषण करने के बारे में नहीं है, बल्कि नई सामग्री बनाने के बारे में है-चाहे वह टेक्स्ट, इमेज, म्यूजिक या यहां तक कि वैज्ञानिक समाधान हो। यह मशीनों को न केवल बुद्धिमान बल्कि रचनात्मक सहयोगी बनाने की दिशा में अगली बड़ी छलांग लगाने के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का विषय पेशेवरों और शिक्षकों को अत्याधुनिक ज्ञान और व्यावहारिक कौशल से युक्त करने की हमारी सामूहिक महत्वाकांक्षा को दर्शाता है जो वैश्विक तकनीकी प्रगति के साथ संरेखित है।

डॉ. सतीश कुमार सिंह, क्यूआईपी समन्वयक ने कहा कि ट्रिपल आईटी इलाहाबाद ने हमेशा अंतः विषय अनुसंधान, नवाचार-संचालित शिक्षा और उद्योग-अकादमिक सहयोग के महत्व पर जोर दिया है। गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम के तहत एआईसीटीई द्वारा समर्थित यह कार्यक्रम उस दिशा में एक और कदम है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह पहल संकाय सदस्यों और प्रतिभागियों के लिए इन आधुनिक एआई तकनीकों को उनके शिक्षण, अनुसंधान और पेशेवर प्रथाओं में एकीकृत करने के लिए उत्प्रेरक का काम करेगी।

डीन अकादमिक प्रोफेसर मनीष गोस्वामी ने सभी प्रतिभागियों को इस अवसर पर विशेषज्ञों के साथ गहराई से जुड़ने, साथी शिक्षार्थियों के साथ सहयोग करने और जनरेटिव एआई की परिवर्तनकारी क्षमता का पता लगाने के लिए अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने आगे कहा कि इस कार्यक्रम को न केवल तकनीकी कौशल प्रदान करें बल्कि हममें से प्रत्येक को हमारे द्वारा निर्मित और तैनात की जाने वाली तकनीकों के बारे में नैतिक और जिम्मेदारी से सोचने के लिए प्रेरित करें।

आईटी विभागाध्यक्ष डॉ. के.पी. सिंह ने कहा कि आज स्मार्टफोन, कम्प्यूटर, ऑटोमोबाइल, चिकित्सा उपकरण और यहां तक कि घरेलू उपकरण भी चिप्स पर निर्भर हैं। भारत में भी सेमी कंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग और डिजाइन के क्षेत्र में तेजी से प्रगति हो रही है। “मेक इन इंडिया“ और “डिजिटल इंडिया“ जैसे अभियानों से इस क्षेत्र में नए अवसर पैदा हो रहे हैं। उन्होंने एआईसीटीई को इस तरह के कार्यक्रम के लिए उनके निरंतर सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।

इलेक्ट्रॉनिक संचार विभागाध्यक्ष डॉ. संजय सिंह ने कहा कि वास्तव में, सेमी कंडक्टर से चिप्स तक का यह सफर मानव सभ्यता के तकनीकी विकास का प्रतीक है। यह हमें दिखाता है कि कैसे एक छोटे से अणु स्तर के पदार्थ को तकनीकी चमत्कार में बदला जा सकता है, जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को आसान और अधिक सुविधाजनक बनाता है।

समन्वयक डॉ. नवीन सैनी ने कहा कि देश भर से 100 संकाय सदस्य कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। मीडिया प्रभारी डॉ. पंकज मिश्र ने बताया कि उद्घाटन सत्र में डॉ. प्रसन्ना मिश्रा और डॉ. कविंद्र कांडपाल भी उपस्थित थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र