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नैनीताल, 05 जून (हि.स.)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय में गुरुवार को हुई सुनवाई में जिला कोषागार नैनीताल के मुख्य कोषाधिकारी दिनेश कुमार राणा और लेखाकार बसंत कुमार जोशी के विरुद्ध रिश्वत मामले में सुनवाई हुई। इस मामले में कोर्ट ने विजिलेंस से पूछा कि बगैर एफआईआर आरोपित को गिरफ्तार क्यों किया गया और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन के सेक्शन 8 के प्रावधान के तहत रिश्वत देने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की गई।
न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल के समक्ष आज सुबह मामले की सुनवाई में न्यायालय कर्मी ने कहा कि उसके स्वयं और पांच अन्य सहकर्मियों की एसीपी पर हस्ताक्षर के लिए मुख्य कोषाधिकारी ने एक लाख बीस हजार रुपये की रिश्वत की मांग की थी। इसका आरोप लगाते हुए उसने शिकायत दर्ज कराई थी जिस पर विजिलेंस की टीम ने योजनाबद्ध ढंग से 9 मई को मुख्य कोषाधिकारी लेखाकार को गिरफ्तार कर कोर्ट के आदेश पर न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया था। निचली अदालत से राणा की जमानत याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने हाई कोर्ट में अपील कर कहा कि उन्होंने रिश्वत नहीं ली थी और उन्हें झूठा फंसाया गया जबकि उन्होंने शिकायतकर्ता की एसीपी फाइल पहले ही वापस कर दी थी।
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हिन्दुस्थान समाचार / लता