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शिमला, 04 जून (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश पावर कोर्पोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमयी मौत के मामले में सीबीआई ने जांच की रफ्तार बढ़ा दी है। दिल्ली में एफआईआर दर्ज करने के बाद सीबीआई ने अब तक शिमला पुलिस की एसआईटी से करीब 80 प्रतिशत रिकॉर्ड अपने कब्जे में ले लिया है। रिकॉर्ड लेने की प्रक्रिया में हर दस्तावेज पर एसआईटी के हस्ताक्षर भी लिए जा रहे हैं, जिससे जांच की पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
सीबीआई की टीम ग्रैंड होटल शिमला में ठहरी हुई है और दस्तावेजों की बारीकी से छानबीन कर रही है। जानकारी अनुसार सीबीआई टीम अब प्रदेश पावर कॉरपोरेशन कार्यालय का रिकॉर्ड खंगालने की तैयारी कर रही है। साथ ही संबंधित कर्मचारियों से पूछताछ भी प्रस्तावित है। जानकारी अनुसार सीबीआई की टीम ने विमल नेगी के परिजनों से भी पूछताछ की है। इस बीच एक डीआईजी और एक एसपी रैंक के वरिष्ठ अधिकारी भी दिल्ली से शिमला पहुंचकर पड़ताल में जुट गए हैं। इससे पहले डीएसपी स्तर के अधिकारी समेत चार सदस्यीय टीम पहले ही शिमला में सक्रिय है।
सीबीआई ने इस मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है, जिसमें डीएसपी ब्रिजेंद्र प्रसाद सिंह, इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार और सब-इंस्पेक्टर नीलेश सिंह को शामिल किया गया है। टीम ने न्यू शिमला थाने से भी इस मामले से जुड़े दस्तावेज कब्जे में लिए हैं।
10 मार्च को लापता, 8 दिन बाद मिला शव
विमल नेगी 10 मार्च को संदिग्ध हालात में लापता हो गए थे और 18 मार्च को उनका शव बिलासपुर के गोविंदसागर झील से बरामद हुआ था। पहले जांच का जिम्मा शिमला पुलिस की एसआईटी के पास था, जिसने डेढ़ महीने की पड़ताल के बाद रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी। लेकिन मृतक की पत्नी किरण नेगी ने पुलिस जांच पर सवाल उठाए और निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।
हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंपी जांच
हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए जांच की कमान सीबीआई को सौंप दी। अदालत ने पुलिस की रिपोर्ट और तत्कालीन डीजीपी अतुल वर्मा के हलफनामे में विरोधाभास पाए, जिसे उसने गंभीरता से लिया।
बता दें कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद शिमला के तत्कालीन एसपी संजीव गांधी ने प्रेस के सामने तत्कालीन डीजीपी डॉ. अतुल वर्मा की आलोचना की और उनके हलफनामे को भ्रामक और गैर-जिम्मेदाराना बताया। इसके जवाब में डीजीपी वर्मा ने गृह विभाग से संजीव गांधी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की।
स्थिति बिगड़ते देख सरकार ने तीन बड़े अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया था। ओंकार शर्मा के विभाग तीन अन्य आईएएस अधिकारियों में बांटे गए हैं। तत्कालीन डीजीपी पद की जिम्मेदारी अशोक तिवारी को सौंपी गई है, जबकि सोलन के एसपी गौरव सिंह को शिमला का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है। अतुल वर्मा 31 मई को सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
अब हर एंगल से होगी जांच
अब सीबीआई इस मामले की हर कड़ी की जांच करने जा रही है। पावर कॉरपोरेशन से जुड़े वित्तीय और प्रशासनिक दस्तावेजों की पड़ताल के साथ कर्मचारियों से पूछताछ भी होगी। ऐसे में संभावना है कि आने वाले दिनों में इस केस में कई बड़े खुलासे सामने आ सकते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा