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शिमला, 06 जून (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के शिक्षकों की समस्याओं को लेकर राजकीय अध्यापक संघ आवाज बुलंद कर दी है। संघ ने महंगाई भत्ते के एरियर, समयबद्ध पदोन्नतियों और गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्ति की पुरानी मांगों को दोहराया है।
राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष नरोतम वर्मा ने शुक्रवार को शिमला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि शिक्षकों का बकाया महंगाई भत्ता वर्ष 2016 से लंबित है। इसके साथ ही छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार भी एरियर का भुगतान नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति न केवल शिक्षकों को आर्थिक रूप से प्रभावित कर रही है, बल्कि उनके मनोबल पर भी असर डाल रही है।
वर्मा ने बताया कि संघ जल्द ही मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर से मिलकर शिक्षकों की लंबित मांगों पर बात करेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जेबीटी से टीजीटी और हेडमास्टर से प्रिंसिपल तक की पदोन्नतियां वर्षों से रुकी हुई हैं। इससे योग्य शिक्षकों में भारी असंतोष है। उन्होंने कहा कि समय पर पदोन्नति देना न केवल शिक्षकों का अधिकार है बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता से भी जुड़ा मुद्दा है।
संघ ने प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी को भी गंभीर चिंता का विषय बताया। नरोतम वर्मा ने कहा कि शिक्षकों की कमी के चलते छात्रों की संख्या में गिरावट आई है जो सीधे-सीधे सरकारी स्कूलों की साख को प्रभावित कर रही है। उन्होंने प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड में नए अध्यक्ष की शीघ्र नियुक्ति की भी मांग की।
एक और बड़ा मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों में लगाया जाना बंद किया जाए। शिक्षकों को सर्वेक्षण, जनगणना और अन्य सरकारी योजनाओं के कामों में लगाने से पढ़ाई पर सीधा असर पड़ता है। उन्हें केवल शिक्षण कार्यों तक सीमित रखा जाना चाहिए।
संघ ने प्राथमिक शिक्षकों के चल रहे आंदोलन को भी जायज ठहराया। उन्होंने सरकार से अपील की कि उनकी मांगों को शीघ्र स्वीकार कर समाधान निकाला जाए ताकि छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो।
इस दौरान संघ के आंतरिक विवाद भी सामने आए। नरोतम वर्मा ने दावा किया कि उनका गुट ही मान्यता प्राप्त है और वीरेंद्र चौहान के नेतृत्व वाले गुट को निष्कासित किया जा चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि चौहान स्वयंभू नेता बनकर भ्रम फैला रहे हैं।
संघ ने सरकार से मांग की है कि शिक्षक हितों की अनदेखी बंद की जाए और लंबित मामलों पर जल्द निर्णय लिया जाए।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा