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मंडी, 04 जून (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी में माइंड, ब्रेन एंड कॉन्शसनेस कांफ्रेंस का चार दिवसीय आयोजन मंगलवार को भव्य रूप से आरंभ हुआ। यह सम्मेलन 4 से 7 जून तक भारतीय ज्ञान प्रणाली और मानसिक स्वास्थ्य अनुप्रयोग केंद्र द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य चेतना, न्यूरोसाइंस, मानसिक स्वास्थ्य और भारतीय दर्शन के समन्वित अध्ययन को बढ़ावा देना है।
कार्यक्रम की शुरुआत श्रीमद्भगवद्गीता के पंद्रहवें अध्याय के पाठ और दीप प्रज्वलन के साथ हुई, जो प्राचीन भारतीय ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के संगम का प्रतीक बना। सम्मेलन का उद्घाटन आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा ने किया। उन्होंने कहा कि “चेतना के बिना शरीर कुछ भी नहीं है। MBCC-2025 भारतीय ज्ञान प्रणाली पर आधारित व्यावहारिक शिक्षा, नवाचार और बहुविषयी अनुसंधान के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त करता है।”
IKSMHA केंद्र के चेयरमैन प्रो. अर्नव भावसार ने संस्थान की वैज्ञानिक उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्लीप रिसर्च लैब की स्थापना और DRDO व आयुष मंत्रालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ हुए सहयोग को उल्लेखनीय उपलब्धि बताया।
भारतीय परंपरा विशेषज्ञ आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी ने इस सम्मेलन को “ज्ञान का यज्ञ” बताया और कहा कि यह आयोजन छात्रों की भागीदारी से संचालित है तथा चेतना के प्रकाश से प्रेरित है। श्रीश्री रविशंकर, आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक, ने वर्चुअल माध्यम से जुड़ते हुए कहा कि “विज्ञान भी आज मानता है कि अध्यात्म, मन और चेतना में गहरा संबंध है। ध्यान, सात्विक आहार और प्राणायाम से पोषित चेतना ही वास्तविक सुख का स्रोत है।”
इस अवसर पर आईआईटी मंडी और आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के बीच समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर हुए जिसके तहत मानसिक स्वास्थ्य और चेतना से जुड़ी संयुक्त शोध गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
यह सम्मेलन 7 जून तक जारी रहेगा और योग, ध्यान, न्यूरो-चिकित्सकीय तकनीकें तथा भारतीय दृष्टिकोण से चेतना के अध्ययन जैसे विषयों पर केंद्रित रहेगा, जो मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में शोध और संवाद को नई दिशा देगा।
हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा