हिमाचल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अब पर्ची के लिए देने होंगे 10 रुपये, मुफ्त व्यवस्था खत्म
आइजीएमसी अस्पताल


शिमला, 04 जून (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी पंजीकरण (पर्ची) के लिए अब 10 रुपये शुल्क अनिवार्य कर दिया है। इसका उद्देश्य प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों में रोगी कल्याण समितियों को मजबूत करना और अस्पतालों की आधारभूत सुविधाओं को सुधारना है। सरकार का कहना है कि यह कदम स्वच्छता, उपकरणों की उपलब्धता और भवनों के रखरखाव जैसे कार्यों में सुधार लाने की दिशा में एक जरूरी फैसला है।

इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य सचिव द्वारा अधिसूचना जारी की गई है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि यह निर्णय राज्य सरकार की कैबिनेट उप-समिति की सिफारिश पर लिया गया है। अधिसूचना के अनुसार अब सभी सरकारी अस्पतालों में पंजीकरण के समय प्रत्येक मरीज से 10 रुपये बतौर उपयोगकर्ता शुल्क लिया जाएगा। इस राशि का प्रयोग सीधे-सीधे अस्पतालों की सुविधाएं बेहतर करने में किया जाएगा।

सरकारी आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि रोगी कल्याण समितियों को अब स्वच्छता, इंफ्रास्ट्रक्चर के रखरखाव और अस्पतालों में जरूरी उपकरणों की देखभाल के लिए उपयोगकर्ता शुल्क लेने का अधिकार होगा। ये समितियां मरीजों को दी जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करेंगी। अब ये समितियां पंजीकरण शुल्क से प्राप्त राशि का उपयोग अस्पतालों के सुधार और संचालन में कर सकेंगी।

स्वास्थ्य सचिव ने इस आदेश को निदेशक चिकित्सा शिक्षा, निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक को भेजा है। इसके अलावा यह आदेश सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों, सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) और सभी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट्स को भी भेजा गया है ताकि वे अपने-अपने स्तर पर इसे लागू कर सकें।

इस आदेश की प्रतिलिपि 30 मई 2025 को संबंधित अधिकारियों को भेज दी गई थी और इसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे जल्द से जल्द आवश्यक कार्रवाई करें और उसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को दें।

स्वास्थ्य विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह मामूली शुल्क है और इसका जिसका उपयोग अस्पतालों को बेहतर बनाने में किया जाएगा।

स्वास्थ्य मंत्री ने पहले दिए थे पंजीकरण शुल्क लगाने के संकेत

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल पहले ही संकेत दे चुके थे कि अस्पतालों में मुफ्त पर्ची व्यवस्था के कारण लोग पर्चियों को गंभीरता से नहीं लेते, जिससे डॉक्टरों को परेशानी होती है। उनका मानना था कि यदि पर्ची के लिए मामूली शुल्क लिया जाएगा तो लोग उसे संभालकर रखेंगे और इससे अस्पताल की व्यवस्था भी बेहतर होगी।

बता दें कि आईजीएमसी शिमला और चमियाना स्थित सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पिछले दिनों यह शुल्क लागू किया जा चुका है और अब इसे राज्यभर में लागू किया जा रहा है। हिमाचल के सरकारी अस्पतालों में रोजाना हज़ारों की संख्या में मरीज इलाज के लिए आते हैं। इसमें सबसे अधिक भीड़ राजधानी शिमला के आईजीएमसी अस्पताल, मेडिकल कॉलेज अस्पतालों और सिविल अस्पतालों में होती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा