बेमेतरा में जातीय उत्पीड़न और प्रशासनिक उपेक्षा का आरोप लगाकर पीड़ित परिवार ने सामूहिक इच्छा मृत्यु की मांगी अनुमति
बेमेतरा/रायपुर, 28 जून (हि.स.)।बेमेतरा जिले के ग्राम मोहतरा (ख )में 14 वर्षों से कथित जातीय उत्पीड़न और प्रशासनिक उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पीड़ित परिवार ने 17 सदस्यों के साथ सामूहिक इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है। पीड़ित परिवार ने अपने पत्र में प्र
सामूहिक इच्छा मृत्यु की मांगी अनुमति


सामूहिक इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगने कलेक्ट्रेट पहुंचा पीड़ित परिवार


बेमेतरा/रायपुर, 28 जून (हि.स.)।बेमेतरा जिले के ग्राम मोहतरा (ख )में 14 वर्षों से कथित जातीय उत्पीड़न और प्रशासनिक उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पीड़ित परिवार ने 17 सदस्यों के साथ सामूहिक इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है। पीड़ित परिवार ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री, कानून मंत्री, मुख्य न्यायधीश, राज्यपाल, सीएम, मानव अधिकार सहित 23 विभागों और पार्टियों को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है। परिवार ने इसे लेकर राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को पत्र सौंपा है। जिला प्रगतिशील सतनामी समाज के अध्यक्ष राजाराम बंजारे ने पीड़ित को न्याय नहीं मिलने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। बेमेतरा जिला प्रशासन ने अभी तक इस विषय में अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

बेमेतरा ज़िले के मोहतरा(ख) गांव के अनुसूचित जाति वर्ग के सतनामी समाज से आने वाले भूमिहीन परिवार ने 14 वर्षों से निरंतर जातीय उत्पीड़न और प्रशासनिक उपेक्षा से तंग आकर परिवार व समाज के लोगों के साथ शुक्रवार को जिला कार्यालय कलेक्टोरेट पहुंचे। जहां अपर कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम पत्र सौंपा है और सहपरिवार 17 सदस्यों के साथ इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है।

पीड़ित श्यामदास सतनामी व परिवार के लोगों ने आज पत्रकारों को बताया है कि वर्ष 2009 में तत्कालीन सरपंच और उपसरपंच ने 50 हजार रुपये लेकर उन्हें गांव से दूर शासकीय ज़मीन पर बसाया था। वे और उनका परिवार दो वर्षों से वहां रहकर किसी तरह जीविकोपार्जन कर रहे थे । उनका आरोप है कि वर्ष 2011 में जातिवादी वैमनस्य के कारण कुछ लोगों ने उनका घर जला डाला, सामान लूट लिया गया। साल 2019 में उन्हें अर्धनग्न हालत में पूरे गांव में घुमाया गया और खंडसरा चौकी पुलिस की मौजूदगी में जबरन सभी ग्रामीणों के पैर छूकर माफी मंगवाई गई। उनके बच्चे भी इस सदमे के शिकार हुए और सखी सेंटर भेज दिए गए। जहां लगभग 15 दिनों तक वहां रहा, इसके बाद परिवार ने किसी तरह कच्चा मकान बनाकर वहीं पुनः निवास शुरू किया। वर्ष 2024 में फिर उनका घर तोड़ा गया और अब कुछ दिन पहले बिजली कटवा दी गई । 18 जून 2025 को प्रशासन ने पुलिस बल, ग्रामीणों की मौजूदगी में बगैर नोटिस दिए बिना व्यवस्थापन किये भरी बरसात में उनका झोपड़ी जेसीबी से तोड़ डाला। वर्तमान में श्यामदास सतनामी का पूरा परिवार बिना बिजली, पानी के खुले आसमान के नीचे जीने को मजबूर है।

हिन्दुस्थान समाचार / केशव केदारनाथ शर्मा