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गुना, 28 जून (हि.स.)। चाचौड़ा से तीन किलोमीटर दूर स्थित एक प्राचीन मंदिर सीता बावड़ी स्थित है। मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जी वनवास के दौरान यहां पहुँचे थे और इसी बावड़ी से माता सीता जी ने पानी किया था। साथ ही कुछ समय के लिए विश्राम किया था। इसके बाद से ही इस बावड़ी को सीता बावड़ी के नाम से पहचान मिली। इस बावड़ी में जल हमेशा भरा रहता है। यह जल कभी सूखता नहीं है, जबकि यहां चारों ओर निर्मल निर्जन स्थान है। दूर-दूर जल का और कोई स्रोत नहीं है । इस स्थान पर जीव जंतुओं के पीने का निर्मल जल उपलब्ध होता है। इस वन में यही एकमात्र जल का स्रोत है।
भगवान शिवजी का मंदिर है
इस स्थान पर भगवान शिवजी का मंदिर हैै। मंदिर में एक साथ पांच शिवलिंग है। जो प्राचीन समय से स्थापित है। जहां लोग मन्नत मांगने के लिए आते हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण होती है। सीता बावड़ी पर दो वृक्ष भी लगे हुए है। जो नीचे से तो अलग-अलग है किन्तु इनकी विशेष बात यह है कि यह ऊपर आपस में मिल गए हैं। वर्तमान में चिंता का विषय यह है कि इस बावड़ी की स्थिति क्षतिग्रस्त होती जा रही है। रखरखाव के अभाव में बावड़ी की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। जिससे श्रद्धालुओं में नाराजगी है। अगर यह बावड़ी अपना मूल अस्तित्व देगी तो उसे स्थान की महिमा भी समाप्त हो जाएगी। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस प्राचीन बावड़ी का संरक्षण कर उसका जीर्णोंद्वार किया जाना चाहिए। जिससे यह प्राचीन धरोहर सुरक्षित बनी रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक शर्मा