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राज्य-स्तरीय आपातकालीन हृदय देखभाल प्रणाली का हब बना लोहिया संस्थान
लखनऊ, 26 जून (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के मरीजों को समय पर और दिशा निर्देश आधारित हृदयाघात उपचार सुलभ हो सकेगा। प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा ने लोहिया संस्थान के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि अब कोई भी हृदयाघात मरीज दूरी या संसाधनों की कमी के कारण उपचार से वंचित नहीं रहेगा।
उन्होंने स्टेमी केयर हब अब सुलतानपुर, अयोध्या, आजमगढ़ और मऊ सहित कई जिलों को कवर करता है और उत्तर प्रदेश में राज्य-स्तरीय आपातकालीन हृदय देखभाल प्रणाली का एक आदर्श प्रस्तुत करता है।
लोहिया संस्थान के निदेशक प्रो. सीएम सिंह ने आयोजित कार्यक्रम में कहा कि यह विकेन्द्रित हृदय चिकित्सा का श्रेष्ठ उदाहरण है। समर्पित स्वास्थ्य दलों और समय पर सहयोग के साथ, हम आज उन स्थानों पर सफल थ्रोम्बोलाइसिस देख रहे हैं जहां यह कुछ वर्ष पूर्व अकल्पनीय था।”
परियोजना के नोडल अधिकारी प्रो. डॉ. भुवन चंद्र तिवारी, विभागाध्यक्ष हृदय रोग विभाग ने कहा कि “मऊ और आजमगढ़ का जुड़ना और कादीपुर व रुदौली में सफल थ्रोम्बोलाइसिस यह दर्शाता है कि ग्रामीण उत्तर प्रदेश अब आपातकालीन हृदय देखभाल में नेतृत्व करने को तैयार है। यह परियोजना धरातल पर, वास्तविक समय में जीवन बचा रही है।” उन्होंने बताया कि रुदौली (अयोध्या) में अब तक दो सफल थ्रोम्बोलाइसिस किए जा चुके हैं, जो ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य संस्थाओं की बढ़ती क्षमता को दर्शाता है।
अब तक RMLIMS हब के अंतर्गत कुल 23 STEMI मरीजों का थ्रोम्बोलाइसिस किया जा चुका है। यह इस परियोजना की प्रभावशीलता और सफलता को प्रमाणित करता है। एक सरकारी, प्रोटोकॉल आधारित आपातकालीन हृदय देखभाल मॉडल है, जो हब और स्पोक प्रणाली पर कार्य करता है। यह प्रणाली उपचार में देरी को कम करती है और विशेषकर ग्रामीण तथा अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हृदयाघात से जीवनरक्षा की संभावना को बढ़ाती है।
हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन