पाठ्य पुस्तक में शामिल हो मीसाबंदियों का गौरवशाली इतिहास
शिव नारायण टांक हरदा। जिले के मीसाबंदियों का गौरवशाली इतिहास रहा है। तन मन धन से समर्पित होकर मीसाबंदियों ने देशहित में एक जुटता का परिचय दिया। जान की परवाह किये बिना अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहे। गिरफ्तारी दी। सिद्धांत से समझौता नहीं किया। 50 वर्ष प
पाठ्य पुस्तक में शामिल हो मीसाबंदियों का गौरवशाली इतिहास


शिव नारायण टांक

हरदा। जिले के मीसाबंदियों का गौरवशाली इतिहास रहा है। तन मन धन से समर्पित होकर मीसाबंदियों ने देशहित में एक जुटता का परिचय दिया। जान की परवाह किये बिना अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहे। गिरफ्तारी दी। सिद्धांत से समझौता नहीं किया। 50 वर्ष पूरे होने पर उनके गौरवशाली इतिहास को तरो ताजा कर नई पीढ़ी को उनके संघर्ष से अवगत कराने की आवश्यकता है। इस संदर्भ में सत्ता सुधार ने जिले के कुल 8 मीसाबंदियों के संबंध में जानकारी जुटायी और उसमें से कुछेक से बातचीत कर उनके संघर्ष को सुना। पाठ्य क्रम में शामिल होना चाहिए मीसाबंदियों का इतिहास।

शिव नारायण टांक ने आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर एक विशेष बातचीत में बताया कि मीसाबंदियों के इतिहास को पाठ्य पुस्तक में शामिल किया जाना चाहिए ताकि नई पीढ़ी को मीसाबंदियों के संघर्ष से रू-ब-रू हो सके। अचानक पुलिस गाड़ी भेजकर थाने बुलाकर बंद कर दिया था। जेल के बाहर बम बनाने के आरोप में 21 महीने 17 दिन जेल में रहा। नारेबाजी करके और लोगों को जागरूक किया जाता था।

25 जून, 1975 को आपातकाल इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा लगाया गया था जो मार्च, 1977 तक चलाया। इस दौरान सरकार ने नागरिकों की स्वतंत्रता में कटौती करके और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी थी। 21 महीनों में हजारों नेताओं ने गिरफ्तारी दी, जिसमें से 8 हरदा जिले के भी थे। जिले के कुल 8 मीसाबंदियों ने सत्ता से संघर्ष किया। अपने निर्णय पर अड़िग रहे। जान की परवाह किये बिना विरोध किया।

जिले के शिव नारायण टांक, बंदूक वाले, शालिग्राम अग्रवाल, जमुना प्रसाद जैसानी, चंदू खलीफा, हयात खान, आनंद वीरेंद्र कुमार, दिलीप सिंह आदि मीसाबंदियों ने जान की परवाह किये बिना कांग्रेस सरकार के तुगलकी फरमान का विरोध किया। तमाम आरोप लगाकर सरकार ने जेल में बंद किया और तरह-तरह की यातनाओं को कष्टों को सहा और अपने कर्तव्य से डिगे नहीं। उस समय होशंगाबाद जिला था जो अब नर्मदापुरम के नाम से जाना जाता है। आरएसएस के जिला कार्यवाहक समेत अन्य पदों पर रहते हुए कैलाश जोशी और सुंदरलाल पटवा से मिलकर संघर्ष किया। जिसे भुलाया नहीं जा सकता है।

मीसाबंदियों ने सभी को संगठित करने के लिए संघर्ष किया और गिरफ्तारी दी। जबलपुर, खंडवा, बुरहानपुर सहीत अन्य जगहों पर जाकर संगठित करके जागरूक किया। घर परिवार से देश व समाज के हित को सर्वोपरि रखा। पुलिस की असहनीय यातनाओं को सहा।

शिव नारायण टांक ने कहा कि आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने के बाद में वर्तमान में सब कुछ बदल गया है। इंसान संकुचित संकीर्ण हो गया, अपने ही विकास में लगा है। देश और समाज के हित को गौर्ण कर रखा है। कथनी करनी में जमीन आसमान का अंतर है । धमकी से भयभीत होकर असत्य का रास्ता अपना लेते हैं और सत्य का रास्ता छोड़कर अपनी जान बचाने में लग जाते हैं। -------------------

हिन्दुस्थान समाचार / Pramod Somani