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मंडी, 25 जून (हि.स.)। मंडी जिला के जोगिंदरनगर उपमंडल की एहजु पंचायत के त्रामट गांव की बेटी अलीशा कटोच ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। कजाकिस्तान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय पैराग्लाइडिंग प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए गोल्ड मैडल सहित कई मैडल जीते। इन्होने महज 16 साल की उम्र में पैराग्लाइडिंग की दुनिया में कदम रखा और आज वे भारत की शीर्ष महिला पैराग्लाइडिंग पायलट बन गई हैं। उनका यह सफर किसी प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं है, जिसमें संघर्ष, जुनून और जीत की गाथा छिपी है। साल 2019 में, अलीशा ने अपने जेब खर्च से बिना परिवार को बताए अपनी पहली पैराग्लाइडिंग उड़ान भरी। उसी दिन उन्हें उड़ने का ऐसा जुनून चढ़ा कि उन्होंने इसे ही अपना सपना बना लिया। हालांकि, यह राह आसान नहीं थी। आर्थिक तंगी और समुदाय से अपेक्षित समर्थन न मिलने के कारण उन्हें एक समय पैराग्लाइडिंग छोड़कर भारतीय सेवाओं में शामिल होना पड़ा, ताकि वह अपने भविष्य को सुरक्षित कर सके।
एक मोड़ जिसने बदल दी जिंदगी
साल 2022 अलीशा के जीवन में एक बड़ा मोड़ लेकर आया, जब भारत के जाने-माने पैराग्लाइडिंग पायलट विजय सोनी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना। विजय सर ने उन्हें प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव दिया, जो अलीशा के लिए एक नई शुरुआत थी। विजय सर की सिफारिश पर, अलीशा ने 2023 में अपनी पहली प्रतियोगिता में भाग लिया और शानदार जीत हासिल की। यह वही दिन था जब उन्हें अपनी असली क्षमता का एहसास हुआ। तब से, अलीशा हर साल कामशेत स्थित ऑरेंजलाइफ पैराग्लाइडिंग स्कूल में लगातार प्रशिक्षण ले रही हैं और अपने कौशल को निखार रही हैं। एक ही यात्रा के दौरान कजाकिस्तान मेंअलीशा ने 6 अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया और अविश्वसनीय प्रदर्शन करते हुए 6 स्वर्ण पदक, 5 रजत पदक, 3 कांस्य पदक और 3 ट्रॉफियां अपने नाम की। यह भारतीय पैराग्लाइडिंग इतिहास में एक अभूतपूर्व उपलब्धि है।
इन प्रतियोगिताओं के पुरस्कार समारोहों में 6 बार भारतीय राष्ट्रीय गान विदेशी धरती पर बजाया गया, जिसने अलीशा को भावुक कर दिया और उन्होंने गर्व से भारत का प्रतिनिधित्व किया। अलीशा कटोच की रैंकिंग उन्हें देश और दुनिया में एक शीर्ष पैराग्लाइडिंग पायलट के रूप में स्थापित करती है। वह भारत में महिला पैराग्लाइडिंग पायलटों में प्रथम स्थान पर मौजूद है। जबिक दुनिया भर की महिला पायलटों में 20वां स्थान हासिल है। वह इस स्तर तक पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं, जो अपने आप में एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड है। अपनी इन असाधारण उपलब्धियों का श्रेय अलीशा अपने कोच विजय सोनी को देती हैं। अलीशा कहती हैं, ये उपलब्धियां सिर्फ मेरी नहीं हैं ये मेरे कोच विजय सर की मेहनत और विश्वास का नतीजा हैं। उनके बिना मैं यहां तक नहीं पहुंच पाती।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा