आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का अत्यंत संवेदनशील और विवादास्पद अध्याय : त्रिलोक कपूर
धर्मशाला, 25 जून (हि.स.)। प्रदेश भाजपा महामंत्री त्रिलोक कपूर ने वर्ष 1975 में तत्कालीन कांग्रेस की केंद्र सरकार द्वारा देश में लगाए गए आपातकाल के काले अध्याय की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि आपातकाल भारतीय राजनीति का
आपातकाल विषय ओर आयोजित संगोष्ठी के दौरान भाजपा नेता।


धर्मशाला, 25 जून (हि.स.)। प्रदेश भाजपा महामंत्री त्रिलोक कपूर ने वर्ष 1975 में तत्कालीन कांग्रेस की केंद्र सरकार द्वारा देश में लगाए गए आपातकाल के काले अध्याय की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि आपातकाल भारतीय राजनीति का ऐसा अध्याय है जिससे आज भी सीख ली जाती है। यह एक चेतावनी है कि लोकतंत्र को सशक्त बनाए रखना कितना जरूरी है और संस्थाओं की स्वतंत्रता कितनी महत्वपूर्ण है।

कपूर ने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक अत्यंत संवेदनशील और विवादास्पद अध्याय है। यह वह समय था जब देश के संविधान में निहित मौलिक अधिकारों को सीमित कर दिया गया था। गौर हो कज पहले इस संगोष्ठी को केंद्रीय राज्य परिवहन मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने संबोधित करने था लेकिन खराब मौसम के चलते वह धर्मशाला नही पंहुच सके।

कांग्रेस आज भी आपातकाल की मानसिकता से ग्रस्त : सुधीर शर्मा

वहीं संगोष्ठी को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री और धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा ने कहा कि आपातकाल की घोषणा कांग्रेस की सत्ता लोलुपता और निरंकुश मानसिकता का प्रतीक है। आज हम उन सभी लोकतंत्र रक्षकों को नमन करते हैं जिन्हें जेलों में बंद किया गया, अत्याचार झेले और फिर भी तानाशाही के खिलाफ नही झुके।

सुधीर शर्मा ने कहा कि कांग्रेस आज भी आपातकाल की मानसिकता से ग्रस्त है। 1975 की तरह आज भी वह वंशवाद, तुष्टिकरण और सत्ता के केंद्रीकरण को ही राजनीति मानती है। उन्होंने कहा कि भारत की जनता ने ऐसे रवैये को बार-बा नकारा है।

आपातकाल लोकतंत्र पर किया गया सबसे बड़ा आघात था : काजल

संगोष्ठी में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और कांगड़ा से विधायक पवन काजल ने आपातकाल की 50वीं बरसी पर कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला। काजल ने इस दिन को भारतीय लोकतंत्र का काला दिन बताते हुए कांग्रेस पर लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचलने का आरोप लगाया।

काजल ने कहा कि “आज से 50 वर्ष पहले देश पर थोपा गया आपातकाल हमारे लोकतंत्र पर किया गया सबसे बड़ा आघात था। वह दौर न केवल नागरिक स्वतंत्रता को कुचलने वाला था, बल्कि प्रेस, न्यायपालिका और विपक्ष की आवाज को भी दबाने वाला था। हमें वह भूलना नहीं चाहिए।

जेल में रहे लोकतंत्र के प्रहरियों को किया सम्मानित

धर्मशाला के लायंस क्लब में आयोजित 50वीं संगोष्ठी में आपातकाल के समय जेल में रहे लोकतंत्र प्रहरी रहे गोपी चंद अग्रवाल, नरेंद्र नाथ, सुनील मनोचा, पूर्व एडिशनल एडवोकेट जनरल एडवोकेट राकेश भारती, कमल किशोर पाधा, स्वर्गीय कुलदीप सचदेवा को सम्मानित भी किया गया। संगोष्ठी का आयोजन लायंस क्लब धर्मशाला में किया गया। इस संगोष्ठी में लोकतंत्र प्रहरी जो आपातकाल के समय में जेल में बंद रहे थे उन्होंने भी अपने अनुभव सांझा किए।

हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया