सरकारी भूमि अतिक्रमण मामले में कर्नाटक सरकार ने हाई कोर्ट में दाखिल की पुनरीक्षण याचिका
बेंगलुरू, 24 जून (हि.स.)। राज्य सरकार ने कर्नाटक उच्च न्यायालय से रामनगर जिले के केथागनहल्ली सीमा में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने के राज्य सरकार के आदेश पर दी गई अंतरिम रोक की समीक्षा करने का अनुर
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बेंगलुरू, 24 जून (हि.स.)। राज्य सरकार ने कर्नाटक उच्च न्यायालय से रामनगर जिले के केथागनहल्ली सीमा में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने के राज्य सरकार के आदेश पर दी गई अंतरिम रोक की समीक्षा करने का अनुरोध किया है।

न्यायमूर्ति ई.एस. इंदिरेश की अध्यक्षता वाली एकल पीठ के समक्ष पेश हुए महाधिवक्ता के. शशिकिरण शेट्टी ने कहा कि सरकार की दलीलें सुने बिना ही मामले में अंतरिम रोक लगा दी गई है। इसलिए पीठ सरकार की दलीलें सुने और उचित आदेश पारित करे।उन्होंने अपनी दलील में कहा कि कर्नाटक भूमि राजस्व अधिनियम, 1964 की धारा 195 के अनुसार राज्य सरकार को एसआईटी गठित करने का अधिकार है।

उन्होंने अदालत के समक्ष कहा कि यह एसआईटी उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार गठित की गई थी। उन्होंने अंतरिम स्थगन आदेश और रिट याचिका को रद्द करने की मांग करते हुए पीठ के समक्ष आपत्ति प्रस्तुत की। इस पर जवाब देते हुए पीठ ने कहा कि आपके अनुरोध पर विचार किया जाएगा। अदालत अब मामले की अगली सुनवाई 26 जून को करेगी।

इसस पहले न्यायमूर्ति ई.एस. इंदिरेश की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने 19 जून को केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई की, जिसमें एसआईटी द्वारा गठित आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी। उस दिन सुनवाई के दौरान कुमारस्वामी के वकील ने अनुरोध किया था कि सरकार को एसआईटी गठित करने के बाद अधिसूचना जारी करनी चाहिए थी। लेकिन, इस प्रक्रिया को पूरा किए बिना ही एसआईटी ने आवेदक कुमारस्वामी को समन जारी कर दिया है। इसलिए एसआईटी का गठन अवैध है और इस संबंध में आदेश को रद्द किया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति ई.एस. इंदिरेश की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने उस दिन सुनवाई के बाद प्रतिवादियों, राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव और रामनगर तहसीलदार को नोटिस जारी करने का आदेश दिया था। इसी तरह, पीठ ने एसआईटी के गठन पर रोक लगाते हुए अंतरिम आदेश जारी किया था।

उल्लेखनीय है कि एच.डी. कुमारस्वामी और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ केथागनहल्ली के सर्वे नंबर 8, 9, 10, 16, 17 और 79 में 14 एकड़ सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने के आरोप के संबंध में लोकायुक्त रिपोर्ट के अनुसार कार्रवाई करने का आदेश 2020 में दिया गया था। हालांकि, समाज परिवर्तन समुदाय ने राज्य सरकार के खिलाफ उच्च न्यायालय में दीवानी अवमानना ​​याचिका दायर की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि इस पर अमल नहीं किया गया है। इस संदर्भ में आईएएस अधिकारी अमलान आदित्य विश्वास की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन किया गया और 28 जनवरी, 2025 को जांच और कार्रवाई का आदेश दिया गया। कुमारस्वामी ने इसे चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश महादेवप्पा