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कोलकाता, 24 जून (हि.स.)। पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित नकद के बदले नौकरी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मामले में पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीएसई) के पूर्व अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली को मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ से जमानत मिल गई।
न्यायमूर्ति शुभ्र घोष की एकल पीठ ने उन्हें जमानत दी, लेकिन इसके बावजूद गांगुली फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे क्योंकि वे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज एक अन्य मामले में भी न्यायिक हिरासत में हैं। सीबीआई इस मामले की समानांतर जांच कर रही है।
कल्याणमय गांगुली पर 2016 में माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शिक्षकों और ग्रुप-सी व ग्रुप-डी श्रेणी के गैर-शिक्षण पदों पर भर्ती में गंभीर अनियमितताओं का आरोप है। जांच एजेंसियों का कहना है कि वे इस पूरे भ्रष्टाचार तंत्र में सक्रिय भूमिका में थे, जहां अयोग्य उम्मीदवारों को मोटी रकम लेकर नौकरी दी गई।
इस साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ ने 2016 के पैनल के तहत हुई 25 हजार 753 भर्तियों को रद्द कर दिया था। उस समय गांगुली डब्ल्यूबीबीएसई के अध्यक्ष पद पर थे।
गांगुली न सिर्फ बोर्ड अध्यक्ष थे, बल्कि वे राज्य के तत्कालीन शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व महासचिव पार्थ चटर्जी द्वारा गठित स्कूल शिक्षा की सलाहकार समिति के सदस्य भी थे।
उल्लेखनीय है कि पार्थ चटर्जी भी इस घोटाले में मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर सीबीआई और ईडी की जांच के दायरे में हैं और फिलहाल जेल में बंद हैं।
जांच एजेंसियों का आरोप है कि गांगुली ने डब्ल्यूबीएसएससी की स्क्रीनिंग समिति की सिफारिशों की जांच किए बिना अयोग्य उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी किए। अधिकारियों ने यह भी हैरानी जताई कि उनकी कार्यावधि को बार-बार कैसे बढ़ाया गया और वे लगातार 10 वर्षों तक अध्यक्ष पद पर बने रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर