ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती की 60वीं पुण्यतिथि आयोजित
मंडी, 24 जून (हि.स.) ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती की 60वीं पुण्यतिथि मंडी के सद्भावना भवन में अत्यंत सात्विक वातावरण में गहन श्रद्धा, निष्ठा और योग की दिव्यता के साथ मनाई गई। जगदंबा सरस्वती, जि
मंडी में मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती जी की 60वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान


मंडी, 24 जून (हि.स.) ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती की 60वीं पुण्यतिथि मंडी के सद्भावना भवन में अत्यंत सात्विक वातावरण में गहन श्रद्धा, निष्ठा और योग की दिव्यता के साथ मनाई गई। जगदंबा सरस्वती, जिन्हें सभी प्रेमपूर्वक मम्मा कहकर पुकारते थे, उनका लौकिक नाम ओम राधे था, जो उनके बचपन का नाम भी था। जब वे ओम् उच्चारित करती थी, तो चारों ओर गहरी शांति का वातावरण बन जाता था, इसलिए उन्हें ओम राधे नाम से जाना गया।

राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी शीला बहन सर्किल हेड मंडी ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, सद्भावना भवन, मंडी ने बताया कि मम्मा बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और गंभीर चिंतनशील व्यक्तित्व की धनी थी। जो भी ज्ञान सुनतीं, उसे तुरंत जीवन में उतार लेतीं। कम आयु में भी उन्होंने अपनी गंभीरता, साधना और ज्ञान की गहराई से सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। वे त्याग, नारीशक्ति और आध्यात्मिक सम्पूर्णता की प्रतिमूर्ति थीं। उन्होंने वर्ष 1965 में अपने नश्वर शरीर का त्याग कर पूर्णता की अवस्था प्राप्त की। उनकी 60वीं पुण्यतिथि को मनाने का उद्देश्य केवल उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना नहीं, बल्कि उनके जीवन-मूल्यों और आध्यात्मिक सिद्धांतों को व्यक्तिगत जीवन में आत्मसात करना है। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी संस्था के भाई-बहनों ने मिलकर योग और आध्यात्मिकता के माध्यम से विश्वशांति के संकल्प को आगे बढ़ाया। संदेश दिया गया कि आज के युग में जहाँ मानसिक अशांति व्याप्त है, वहां मम्मा के आदर्शों और शिक्षाओं के माध्यम से सत्य और शांति का मार्ग अपनाना अति आवश्यक है।

कार्यक्रम में मम्मा द्वारा वर्ष 1957 में कहे गए प्रेरणादायक वचन भी श्रद्धापूर्वक सुनाए गए। उन्होंने कहा था कि प्रत्येक को अपने आत्मिक दीपक को प्रज्वलित करना है, और जो दीपक बुझ गए हैं, उन्हें भी अपनी लौ से जगाना है, ताकि चारों ओर फैला अज्ञानता का अंधकार ज्ञान के प्रकाश में परिवर्तित हो सके।

उन्होंने भविष्य की चेतावनी भी दी थी कि आने वाले समय में परिस्थितियां अत्यंत कठिन होंगी, परंतु हमें अपनी अंतरात्मा की शक्ति को जागृत कर स्थिरता और शांति का अभ्यास करना होगा, ताकि हम स्वयं को और दूसरों को भी सच्चे मार्ग की दिशा दे सकें। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मम्मा के त्याग, सेवा और नारी नेतृत्व को स्मरण कर आध्यात्मिक सशक्तिकरण का संदेश समाज में प्रसारित करना रहा।

हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा