Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
जगदलपुर, 24 जून (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष किरण देव ने कहा कि तात्कालिक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आज से ठीक पचास साल पहले 25 जून 1975 को अपनी कुर्सी बचाने व सत्ता पर बने रहने के लालच में संविधान व लोकतंत्र की हत्त्या करते हुये देश में आपातकाल थोप दिया था। कांग्रेस पार्टी के इस काले अध्याय में न केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं को रौंदा, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता, न्यायपालिका की निष्पक्षता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कुचलकर यह स्पष्ट कर दिया कि जब-जब कांग्रेस की सत्ता संकट मे होती है, वे संविधान और देश की आत्मा को ताक में रखने से पीछे नहीं हटते । आज 50 वर्ष बाद भी कांग्रेस की नीयत आज भी वैसी ही तानाशाही वाली है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण देव ने मंगलवार को यहां भाजपा जिला कार्यालय में पत्र वार्ता को संबोधित करते हुये कहा कि सत्ता लोभ कांग्रेस का स्थायी चरित्र है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 जून 1975 को इंदिरा गाँधी को चुनाव में भ्रष्ट आचरण व सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग करने का दोषी ठहराया और उन्हें 6 वर्ष तक किसी भी निर्वाचित पद पर रहने से अयोग्य घोषित कर दिया था, जिससे घबराकर सत्ता पर काबिज रहने के लिये इंदिरा गाँधी ने 25 जून 1975 को आतंरिक अशांति का हवाला देकर राष्ट्रपति से देश में आपातकाल लगा दिया। जिसके बाद रातों-रात प्रेस की बिजली काटी गयी, नेताओं को बंदी बनाया गया और देश में तानाशाही लाद दी गयी। संविधान के अनुच्छेद 352 का दुरूपयोग कर लोकतंत्र को रौंदा गया, संसद व न्यायपालिका को अपंग बनाने का घृणित कृत्य कांग्रेस ने किया।
किरण देव ने कहा कि जिस संविधान की शपथ लेकर इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी थी, उसी संविधान की आत्मा को कुचलते हुये उन्होंने लोकतंत्र को बंधक बनाकर तानाशाही में बदल दिया था। आज भी कांग्रेस शासित राज्यों में कानून व्यवस्था का हाल यह है कि वहां विरोध का दमन, धार्मिक तुष्टिकरण व सत्ता का अहंकार खुलेआम दिखता है। आपातकाल के दौरान एक परिवार को संविधान से ऊपर रखने वाली कांग्रेस आज भी राहुल- प्रियंका के इर्दगिर्द सिमटी हुई है और कांग्रेस का समूचा तंत्र परिवार के चरणों में समर्पित है। आपातकाल में इंदिरा गांधी ने संविधान में 39 वां और 42 वां जैसा क्रूर और अलोकतांत्रिक संशोधन किया और कांग्रेस के वैचारिक एजेंडे को थोपने के लिये संविधान में संशोधन कर धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी जैसे शब्द जोड़े गये। संविधान बचाओ का नारा देने वाली कांग्रेस वही पार्टी है, जिसने संविधान को सबसे पहले रौंदा था।
उन्हाेने कहा कि आज कांग्रेस के चेहरे बदल गये हैं लेकिन तानाशाही की प्रवृत्ति और सत्ता का लोभ जस का तस है। पचास साल बाद आपातकाल को याद करना इसलिये भी आवश्यक है कि यह महज इतिहास की एक घटना मात्र नहीं है बल्कि कांग्रेस की मानसिकता का प्रमाण है। सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाना और देश की छवि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर खराब करना कांग्रेस की नई डिजिटल इमरजेंसी रणनीति बन चुकी है। जब देश हर मोर्चे पर प्रगति कर रहा है, तब कांग्रेस, सरकार की हर उपलब्धि को झुठलाने में लगी है। यह वही नकारात्मक मानसिकता है जिसने 1975 में देश को पीछे खींचा था। देश की सुरक्षा, सैन्य कार्रवाई या विदेश नीति पर कांग्रेस जिस तरह सेना पर सवाल उठाती है, न्यायपालिका पर हस्तक्षेप, फ्री स्पीच के नाम पर अराजकता और मीडिया ट्रायल को बढ़ावा देकर कांग्रेस आज नये तरीकों से देश में वही आपातकाल लागू करना चाहती है।
पत्र वार्ता के दौरान भाजपा जिला अध्यक्ष वेदप्रकाश पाण्डेय, प्रदेश कार्य समिति सदस्य विद्याशरण तिवारी, जिला उपाध्यक्ष योगेन्द्र पाण्डेय, श्रीनिवास मिश्रा, निगम अध्यक्ष खेम सिंह देवांगन, जिला कोषाध्यक्ष रजनीश पाणिग्रही, जिला मीडिया प्रभारी आलोक अवस्थी, पूर्वी नगर मण्डल अध्यक्ष अविनाश श्रीवास्तव मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे