योग के बल पर ही हमारे ऋषि-मुनि शतायु हुआ करते थे : सीमा परोहा
कानपुर, 21 जून (हि.स.)। प्रकृति द्वारा प्रदत्त संसाधनों से अपनी शारीरिक क्रियाओं को साधते हुए स्वास्थ्य वर्धन करना ही योग है। योग के बल पर ही हमारे ऋषि-मुनि शतायु हुआ करते थे। किंवदंती है कि आज भी हिमालय की कंदराओं में हजारों वर्षों से कुछ ऋषि तपस्य

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