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दतिया/भाण्डेर, 20 जून (हि.स.)। जिले की भाण्डेर तहसील के मुरिया गांव जो विकास की रफ्तार में नहीं बल्कि बदहाली की दलदल में सालों से धंसा हुआ है। हर साल बरसात के मौसम में जब धरती भीगती है, तब मुरिया गांव में सड़क कहीं नजर नहीं आती। यही है भाण्डेर क्षेत्र के उस विकास की असली तस्वीर जिसकी गूंज केवल कागज़ों पर होती है ज़मीन पर नहीं।
कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक और वर्तमान में प्रदेश की राजनीति में सक्रिय फूल सिंह बरैया, भाजपा की पूर्व विधायक रक्षा संतराम सिरोनिया और एक समय भाण्डेर का प्रतिनिधित्व कर चुके घनश्याम पिरोनिया ये सभी चेहरे भाण्डेर के प्रतिनिधि रहे हैं, लेकिन मुरिया गांव के लोग पूछते हैं इन नेताओं के कार्यकाल में हमारा गांव कब विकास के दायरे में आया। वर्षों बीत गए लेकिन आज भी गांव में एक साधारण मुक्ति धाम तक का निर्माण नहीं हो सका। यह केवल एक स्थान नहीं, बल्कि पूरे तंत्र की संवेदनहीनता का प्रतीक बन चुका है। अभी हाल ही में जो वीडियो वायरल हुआ उसमें स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि किस प्रकार ग्रामीणजन किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार बारिश के चलते बाजार में बिकने वाली प्लास्टिक की पन्नी का सहारा लेकर जैसे-तैसे करने को मजबूर हैं।
दरअसल, यह तस्वीर विकास के वादों की नहीं विकास के अभाव की चीखती हुई तस्वीर है। दलदल में फंसी सड़कें कीचड़ में लथपथ गलियां और मूलभूत सुविधाओं से वंचित आमजन ये भाण्डेर विधानसभा की व्यवस्था है।
भाण्डेर विधानसभा की हर पंचायत की कहानी आज मुरिया गांव की कहानी है।
हिन्दुस्थान समाचार/संतोष
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हिन्दुस्थान समाचार / राजू विश्वकर्मा