हिसार : हरे चारे की आपूर्ति में लाभदायक होंगी जई की नई किस्में : प्रो. बीआर कम्बोज
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज पत्रकारों से बातचीत करते हुए।


जई की इन किस्मों का हरियाणा के अलावा अन्य राज्यों को भी मिलेगा लाभ

हिसार, 2 जून (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के चारा अनुभाग ने जई की

तीन नई उन्नत किस्में विकसित की हैं। इनमें से अधिक चारा व बीज उत्पादन देने वाली किस्म

एचएफओ 917 व एचएफओ 1014 देश के उत्तर पश्चिमी व उत्तर पूर्वी राज्यों एवं अनेक कटाई

वाली किस्म एचएफओ 915 देश के पवर्तीय क्षेत्रों में उगाने के लिए सिफारिश की गई है।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने साेमवार काे पत्रकारों से बातचीत में बताया

कि देश में 11.24 प्रतिशत हरे व 23.4 प्रतिशत सूखे चारे की कमी है जिसके कारण पशुओं

की उत्पादकता प्रभावित हो रही है। जई की अधिक गुणवत्तापूर्ण व ज्यादा पैदावार देने

वाली किस्में विकसित होने से पशुपालकों को लाभ होगा व पशुओं की उत्पादकता भी बढ़ेगी।

कुलपति ने कहा हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई फसलों की किस्मों का

न केवल हरियाणा अपितु देश के अन्य राज्यों के किसानों को भी लाभ हो रहा है। हकृवि द्वारा

विकसित किस्मों की मांग अन्य प्रदेशों में भी लगातार बढ़ती जा रही है।

कुलपति ने बताया

कि हकृवि के चारा अनुभाग द्वारा विकसित जई की तीन किस्मों (एचएफओ 917, एचएफओ 1014 व

एचएफओ 915) को भारत सरकार के राजपत्र नोटिफिकेशन नं. 2138 (अ) में केन्द्रीय बीज समिति

की सिफारिश पर समय पर बिजाई के लिए अनुमोदित किया गया है। यह हकृवि के साथ हरियाणा

राज्य के लिए गर्व की बात है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए चारा अनुभाग के वैज्ञानिकों

को बधाई दी और भविष्य में भी अपने प्रयास जारी रखने का आह्वान किया।

उत्तर-पश्चिमी राज्यों के लिए विकसित जई की नई किस्म की विशेषताएं

विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने जई की नई किस्मों की

विशेषता का उल्लेख करते हुए बताया कि एचएफओ 917 व एचएफओ 1014 किस्म को विकसित करने

में चारा अनुभाग के डॉ. योगेश जिंदल, डॉ. डीएस फोगाट, डॉ. सत्यवान आर्य, डॉ. रवीश पंचटा,

डॉ. एसके पाहुजा, डॉ. सतपाल व डॉ. नीरज खरोड़ का योगदान रहा है। एचएफओ 917 व एचएफओ

1014 किस्में दोहरे प्रकार की किस्म है जो चारा व बीज दोनों की अधिक पैदावार दे सकती

है। ये दोनों किस्म देश के उत्तर पश्चिमी (हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड राज्य

के तराई क्षेत्र) एवं उत्तर पूर्वी जोन (पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड व आसाम)

के लिए सिफारिश की गई हैं।

एचएफओ 917 किस्म की हरे व सूखे चारे की औसत पैदावार 192 क्विंटल व 28 क्विंटल

प्रति हेक्टेयर है। इसकी बीज की पैदावार 23.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इस किस्म

के हरे चारे में प्रोटीन की औसत मात्रा उत्तर-पश्चिम जोन में 14.4 व उत्तर-पूर्व जोन

में 9.38 प्रतिशत है। एचएफओ 1014 किस्म की हरे व सूखे चारे की औसत पैदावार 185 क्विंटल

व 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इस किस्म की बीज की औसत पैदावार उत्तर पश्चिम जोन

में 24.3 व उत्तर पूर्वी जोन में 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इस किस्म के हरे चारे

में प्रोटीन की औसत मात्रा उत्तर पश्चिम जोन में 15.5 प्रतिशत है।

जई की एचएफओ 915 किस्म को विकसित करने में चारा अनुभाग के वैज्ञानिकों डॉ.

योगेश जिंदल, डॉ. डीएस फोगाट, डॉ. सत्यवान आर्य, डॉ. रवीश पंचटा, डॉ. एसके पाहुजा,

डॉ. सतपाल, डॉ. नीरज खरोड़, डॉ. दलविंदर पाल सिंह व डॉ. बजरंग लाल शर्मा का योगदान

रहा है। एचएफओ 915 एक अधिक कटाई देने वाली किस्म है। इस किस्म की हरे व सूखे चारे की

औसत पैदावार 234 क्विंटल व 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर