एक करोड़ 11 लाख गौवंश को लगेगा लम्पी से बचाव का टीका
पशुपालन मंत्री ने किया टीकाकरण अभियान का शुभारंभ


जयपुर, 2 जून (हि.स.)। प्रदेश में गाेवंश को लम्पी स्किन डिजीज जैसी जानलेवा बीमारी से सुरक्षित रखने के लिए ‘लम्पी स्किन डिजीज रोग प्रतिरोधक टीकाकरण अभियान’ का सोमवार से आगाज हो गया है। यह अभियान दाे जून से दाे अगस्त 2025 तक संचालित किया जाएगा, जिसमें गॉट पॉक्स वैक्सीन (उत्तरकाशी स्ट्रेन) का उपयोग कर चार माह से अधिक उम्र के स्वस्थ गौवंश का टीकाकरण किया जाएगा।

श्रीपिंजरापोल गौशाला में आयोजित कार्यक्रम में पशुपालन, डेयरी एवं देवस्थान विभाग के केबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत ने टीकाकरण अभियान की टीम को वैक्सीन किट भेंट कर अभियान का शुभारंभ किया। इससे पहले मंत्री ने गौपूजन कर गौशाला का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि इस बार अभियान के तहत दो माह में एक करोड़ 11 लाख 57 हजार गौवंश का टीकाकरण किया जाएगा। कुमावत ने कहा कि वर्ष-2022-23 में लंपी बीमारी महामारी के रूप में आई थी, जिससे करीब 76 हजार गौवंश की मौत हो गई। इसके बाद राज्य सरकार ने इस बीमारी की रोकथाम के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया और पिछले साल मानसून से पहले व्यापक स्तर पर अभियान चलाकर करीब 95 फीसदी गौवंश का टीकाकरण किया गया। इसका परिणाम ये रहा कि इस बीमारी से कोटा व झालावाड़ जिलों के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों में इसका प्रकोप देखने को नहीं मिला। यह वैक्सीन इतनी कारगर सिद्ध हुई कि गत वर्ष गौवंश की इस बीमारी से मृत्युदर महज पांच फीसदी ही रही। इस बार भी मानसून से पहले समस्त प्रदेश में गौवंश का टीकाकरण किया जाएगा।

इस मौके पर पशुपालन विभाग के डायरेक्टर डॉ. आनंद सेजरा ने बताया कि यह टीकाकरण मानसून से पूर्व इसलिए किया जा रहा है ताकि वेक्टर जनित संक्रमणों की गतिविधि बढ़ने से पहले ही पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित की जा सके। इससे समय रहते ‘हर्डइम्युनिटी’ सुनिश्चित होगी और महामारी पर नियंत्रण पाया जा सकेगा। जिले की प्रत्येक पशु चिकित्सा संस्था को स्थानीय गोवंश की संख्या के अनुसार टीकाकरण लक्ष्य दिया गया है। अभियान में पशु मित्रों, प्राइवेट वैक्सीनेटर्स तथा मोबाइल वेटनरी यूनिट्स की भी सहायता ली जाएगी। टीकों को वैक्सीन के भंडारण और परिवहन दाे से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान पर करते हुए सुनिश्चित किया गया है। पिछले वर्षों में जहां-जहां लम्पी का प्रभाव ज्यादा रहा था उन क्षेत्रों को प्राथमिकता सूची में रखा गया है। गौशालाएं, संरक्षित वन्य क्षेत्र व वनों की परिधि में पांच से 10 किलोमीटर समीप के गांव और जिले से लगते राज्यों के सीमावर्ती इलाके इस अभियान के केंद्र में हैं जहां शत प्रतिशत टीकाकरण अनिवार्य है। टीकाकरण के दौरान गर्भवती गायों को विशेष सावधानी से टीका लगाया जाएगा वहीं भैंसों और बीमार, रोग ग्रस्त पशुओं का टीकाकरण नहीं किया जाएगा। यह प्रक्रिया स्वास्थ्य मानकों व वैज्ञानिक विधियों से की जाएगी जिससे बीमारी के फैलाव को रोका जा सके।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित