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हुगली, 19 जून (हि. स.)। चुंचुड़ा की एक विशेष अदालत ने श्रीरामपुर के निवासी शिक्षक दंपति नसीम अख्तर और अंसारी खातून को अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी करार देते हुए गुरुवार को दो साल की सजा सुनाई है। हालांकि अदालत ने आरोपितों को जमानत की गारंटी दी है, और कहा है कि सजा में छूट के लिए आरोपित उच्च न्यायालय जा सकते हैं। आरोपित दंपति ने उच्च न्यायालय में फैसले को चुनौती देने की बात कही है।
मामला वर्ष 2021 का है, जब पूर्व सांसद अपरूपा पोद्दार ने आरोप लगाया था कि उन्हें जातिसूचक गालियां दी गईं थीं और उनके साथ अश्लील व्यवहार किया गया था। यह मामला चुंचुड़ा के विशेष अदालत के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय कुमार शर्मा की अदालत में चला। अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (महिला की लज्जा भंग) और 506 (आपराधिक धमकी) से आरोपितों को बरी कर दिया, लेकिन अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत उन्हें दोषी माना।
आरामबाग से पूर्व सांसद अपरूपा पोद्दार ने बताया कि छह सितंबर 2021 को उन्हें सूचना मिली थी कि शिक्षक दंपति के घर से सेक्स रैकेट चलाया जा रहा है। जब वह अपने पति शाकिर अली के साथ वहां पहुंची, तो कथित रूप से उन्हें जातिसूचक गालियां दी गईं और उनके साथ अश्लील व्यवहार किया गया। मामले में अदालत ने सुनवाई करते हुए बुधवार को शिक्षक दंपति को दोषी करार दिया था। गुरूवार को दोषियों दो वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई।
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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय