Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
जगदलपुर, 19 जून (हि.स.)। नक्सली जल जंगल जमीन एवं आदिवासियों की हक की लड़ाई लड़ने की बात करते है यह कैसा हक की लड़ाई है, जिसमें मासूम आदिवासियाें को ही मौत के घाट उतार दिया जाता है। पेदाकोरमा गांव में 17 जून काे नक्सलियों ने तीन हत्याएं की थी, जिनकी हत्या हुई उनमें दाे आदिवासी छात्र भी शामिल हैं, जिसमें एक नाबालिग है।गांव के लोग पूरी तरह से सहमे हुए है।गांव पहुंचे पत्रकारों से ग्रामीणों ने कहा कि 70 से 80 वर्दीधारी नक्सली पहुंचे थे। हाथों में उनके हथियार थे, फिर सोमा, अनिल को घर से निकाला। उनके हाथ रस्सी से बांधें और गांवों से कुछ दूर ले जाकर रस्सी से गला घोंटकर दोनों छात्रों को मौत के घाट उतार दिया।
मृतकों के परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार छात्र सोमा मोड़ियाम उम्र 20 वर्ष का और 13 वर्ष का नाबालिग अनिल माड़वी की हत्या काे नक्सलियाें के द्वारा आदिवासियाें के खात्मे की संज्ञा दी जा सकती है। इनके परिजनाें का कहना था कि छात्र सोमा मोड़ियाम ने इसी साल बारहवी की परीक्षा उत्तीर्ण की थी और स्नातक की पढ़ाई करने कॉलेज में दाखिला लेने वाला था, इसके अलावा वह सरकारी नौकरी की तैयारी में भी जुटा हुआ था। वहीं 13 साल का अनिल कक्षा 7वीं का छात्र था, अनिल आगे पढ़ना चाहता था और एमबीबीएस की पढ़ाई कर डॉक्टर बनकर गांव लौटना उसका सपना था। लेकिन नक्सलियों की क्रूरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि छात्र सोमा मोड़ियाम एवं कक्षा सातवीं का नाबालिग छात्र अनिल माड़वी की हत्या गला घाेटकर नक्सली कर देते हैं।
प्रश्न यह उठता है कि छात्र सोमा मोड़ियाम एवं नाबालिग छात्र अनिल माड़वी की गलती क्या थी, जिसे मौत की सजा दी गई?राजनैतिक दल के लोग नक्सली हत्या पर केवल निंदा कर माैन साध लेते हैं। वारदात के पीछे नक्सली कमांडर दिनेश मोड़ियाम के आत्मसर्मण काे इस हत्या की वजह बताई जा रही है। हालांकि घटना के बाद से परिजनों से लेकर गांव के लोग पूरी तरह से डरे-सहमे हुए हैं। बस इतना ही कहा कि 70-80 वर्दीधारी नक्सली पहुंचे थे, हाथों में उनके हथियार थे, फिर छात्र सोमा मोड़ियाम एवं नाबालिग छात्र अनिल माड़वी को घर से निकाला, उनके हाथ रस्सी से बांधें और गांवों से कुछ दूर ले जाकर रस्सी से गला घोंटकर दोनों छात्रों को मौत के घाट उतार दिया।
हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे