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मुंबई,19जून ( हि. स.)। यह कहावत कभी कभार ही चरितार्थ हो जाती है कि ,, मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है या यूं कहें कि जाको राखे साईंया मार सके न कोय कुछ इसी तरह की घटना एक पंद्रह वर्षीय नाबालिग के साथ घटित हुई है जब रास्ते में पैदल जाते समय कुछ सिरफिरे नशेड़ियों ने उसे पुल से नीचे फेंक दिया। गंभीर रूप से मरणासन्न नाबालिग किशोर कृष्णा को दोनों पैरों की एड़ियों में फ्रैक्चर के साथ इलाज के लिए सिविल अस्पताल लाया गया और और किसी देवदूत की भांति चिकित्सकों टखने की सफल जोखिम भरी सर्जरी कर उसकी जान बचाई ।
ठाणे पूर्व निवासी डॉ प्रशांत सिनकर ने आज बताया कि खरदी रेलवे स्टेशन के पास एक गांव का निवासी 15 वर्षीय कृष्णा मुकने शाम के वक्त अपनी दादी के पास जा रहा था। समृद्धि महामार्ग पर पुल पार करते समय कुछ अज्ञात शराबी लोगों ने कृष्णा को जाने अनजाने अपने हाथों से उठा लिया और ऊंचाई से पुल के नीचे फेंक दिया। हालांकि, नीचे गिरने से कृष्णा बुरी तरह घायल हो गया। बुरी तरह से हताहत रक्त रंजित कृष्णा वह उठ भी नहीं पा रहा था। तब पास में काम कर रहे कुछ मजदूरों ने कृष्णा के बारे में जानकारी ली और उसके परिवार को सूचित किया। दोनों टखनों में चोट लगने से बुरी तरह चकनाचूर हो गए थे। तत्काल ही उसे तुरंत ठाणे सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसके दोनों पैरों का एक्स-रे लेने पर पता चला कि उसके टखने टूट गए हैं, लेकिन ठीक होने की आस बाकी है।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्षों में, सिविल अस्पताल में इस तरह की जटिल जोखिम भरी सर्जरी सफल हो रही हैं। हालांकि, कृष्णा की सर्जरी को ठाणे सिविल अस्पताल के सर्जन डॉ पवार ने चुनौती के रूप में लिया और उनके मार्गदर्शन में सर्जरी की गई। इस सफल आपरेशन में सर्जन डॉ. कैलाश पवार के साथ अतिरिक्त जिला सर्जन डॉ. धीरज महांगड़े भी सहयोगी थे। पंद्रह दिनों में कृष्णा के दोनों टखनों की कुल तीन सर्जरी सफल रही हैं। एक सर्जरी एक पैर में चोट के कारण टालनी पड़ी थी। इस सर्जरी के लिए हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. विलास साल्वे, डॉ. अजीत भुसागरे, डॉ. मयूर नागरगोजे, डॉ. दीपेश पाटिल, हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. रूपाली यादव और सिस्टर गायकर पाटिल सिस्टर, राणे सिस्टर, भक्ति सिस्टर और कर्मचारी ठाकरे मामा, मिलिंद मामा, मदन मामा, नितिन मामा ने अथक परिश्रम किया।,
15वर्षीय किशोर के पिता दिलीप मुकने ने बताया कि अज्ञात व्यक्तियों ने हमारे कृष्णा को पुल से फेंक दिया। उसे मरणासन्न घायल अवस्था में देखकर हम सभी घबरा गए थे लेकिन ठाणे सिविल अस्पताल के डॉक्टर और नर्सों ने देवदूत की तरह हम निर्धन गरीब के बच्चे की मदद कर जान बचाई इस उपचार के लिए परतु सिविल अस्पताल का जितना धन्यवाद किया जाए, कम है।
ठाणे जिला सिविल अस्पताल के सर्जन डॉ कैलाश पवार ने यह माना कि चोटिल हुए कृष्णा की सर्जरी के लिए निजी अस्पताल में बहुत खर्च होता,मगर ठाणे सिविल अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी हमेशा मरीजों के लिए देवदूत बनकर काम कर रहे हैं। अब तो अस्पताल में नवीनतम सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। इसलिए निजी अस्पतालों में होने वाली जोखिम भरी सर्जरी सिविल अस्पताल में की जाती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रवीन्द्र शर्मा