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शिमला, 19 जून (हि.स.)। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने गुरूवार काे संसद की संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में हिस्सा लेते हुए “एक देश - एक चुनाव” पर अपने विचार रखते हुए इसे देश की वर्तमान जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि बार-बार चुनावों के चलते न केवल विकास कार्यों में बाधा आती है, बल्कि नीति निर्धारण, प्रशासनिक कार्य और संसाधनों की भी भारी बर्बादी होती है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि भारत में 1951 से 1967 तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाते थे, जिससे शासन व्यवस्था पर चुनावों का कम प्रभाव पड़ता था। हिमाचल में यह व्यवस्था 1977 तक जारी रही। लेकिन अब हर साल कहीं न कहीं चुनाव होते हैं, जिससे आचार संहिता लागू होने से विकास की रफ्तार थम जाती है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि इस ऐतिहासिक पहल को लागू करने का साहसिक निर्णय उन्हीं के नेतृत्व में संभव है। उन्होंने कहा कि जब यह व्यवस्था लागू होगी तो कुछ राज्यों के कार्यकाल में कटौती हो सकती है, लेकिन इसके दीर्घकालिक लाभ बहुत अधिक होंगे।
जयराम ठाकुर ने यह भी सुझाव दिया कि जब देश में चुनावों की एकरूपता लाई जा रही है, तो विधान परिषद की व्यवस्था में भी समानता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में विधान परिषद है और कुछ में नहीं, इसलिए इसमें एक समान नीति अपनाई जानी चाहिए। समिति ने उनके इस सुझाव को सकारात्मक रूप से लिया और इसे उचित मंच पर रखने का आश्वासन दिया।
सरकार पर हमला: अपने ही विधायक सरकार से असंतुष्ट
वर्तमान कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री विपक्ष पर सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाते हैं, जबकि असल में सरकार की जड़ें अंदर से ही कमजोर हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के कई मंत्री और विधायक खुद सरकार से नाराज चल रहे हैं और बार-बार इस्तीफे की बात सामने आ रही है।
उन्होंने कहा कि चाहे सरकार का सबसे युवा मंत्री हो या सबसे वरिष्ठ, कई बार इस्तीफा देने की बात कर चुके हैं। कुछ नेताओं ने राजनीतिक मजबूरी के चलते इस्तीफा वापस ले लिया, लेकिन इससे सरकार की आंतरिक हालत उजागर हो चुकी है।
जयराम ठाकुर ने बताया कि कांग्रेस के छह विधायक और तीन निर्दलीय विधायक पहले ही सरकार से अलग हो चुके हैं। राज्यसभा चुनाव में भी सरकार के पास बहुमत होने के बावजूद हार का सामना करना पड़ा, जो सरकार के नेतृत्व की विफलता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस खुद गुटों में बंटी हुई है, लेकिन मुख्यमंत्री भाजपा पर गुटबाजी के आरोप लगाकर ध्यान भटकाने का प्रयास कर रहे हैं। महज ढाई साल के भीतर मुख्यमंत्री की लोकप्रियता निचले स्तर पर पहुंच गई है और प्रदेश की जनता सरकार की नीतियों से निराश है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा