इंटरस्टेट साइबर ठगी रैकेट का भंडाफोड़, तीन गिरफ्तार
नई दिल्ली, 19 जून (हि.स.)। दक्षिण-पश्चिम जिले की साइबर थाना पुलिस ने एक अंतरराज्यीय साइबर ठगी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। जांच में पता चला है कि आरोपित चीनी नागरिकों के संपर्क में रहकर ठगी की रकम को क्रिप्टोकरेंसी और
इंटरस्टेट साइबर ठगी रैकेट का भंडाफोड़, तीन गिरफ्तार


नई दिल्ली, 19 जून (हि.स.)। दक्षिण-पश्चिम जिले की साइबर थाना पुलिस ने एक अंतरराज्यीय साइबर ठगी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। जांच में पता चला है कि आरोपित चीनी नागरिकों के संपर्क में रहकर ठगी की रकम को क्रिप्टोकरेंसी और यूएसडीटी के माध्यम से चीन भेजते थे। इस साइबर फ्रॉड में कुल 15.8 लाख की ठगी की गई थी। पुलिस ने आरोपितों के पास से 6 स्मार्टफोन भी बरामद किए हैं, जिनमें आपराधिक गतिविधियों के पुख्ता सबूत मिले हैं।

डीसीपी अमित गोयल ने गुरुवार को बताया कि शिकायतकर्ता के. कांत ने अपने साथ ठगी की शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़ित ने बताया कि उसे व्हाट्सऐप और टेलीग्राम पर होटल व रेस्टोरेंट्स की ऑनलाइन रिव्यू पोस्ट करने के बदले पैसे कमाने का ऑफर मिला। शुरुआत में उसे छोटे-छोटे टास्क के बदले भुगतान मिला, जिससे उसका विश्वास जीता गया। फिर “वेलफेयर टास्क,” “अकाउंट अनफ्रीज़िंग,” और “क्रेडिट स्कोर सुधार” जैसे बहाने बनाकर 15.8 लाख से अधिक की ठगी कर ली गई। पुलिस ने पीड़ित की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया।

डीसीपी के अनुसार इंस्पेक्टर प्रवेश कौशिक के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। पुलिस ने शिकायतकर्ता द्वारा नंबर और लिंक डिलीट कर दिए जाने के बावजूद टीम ने तकनीकी विश्लेषण और मनी ट्रेल के माध्यम से सुराग जुटाए और राजस्थान के जयपुर व अजमेर में छापेमारी कर तीनों आरोपितों को दबोच लिया। पकड़े गए आरोपितों की पहचान जयपुर निवासी महेंद्र सिंह राजावत (25) ये अजमेर रोड, जयपुर – यूएसडीटी ट्रांजेक्शन और खातों की व्यवस्था में शामिल है।

वहीं जयपुर निवासी अरिफ खान (25) चीनी नागरिकों से संपर्क में था, और खातों के माध्यम से धन की निकासी और रूपांतरण करता था। जबकि तीसरा आरोपित उप्र निवासी लक्ष्मी नारायण वैश्य (23) के रूप में हुई है।

वहीं पूछताछ में आरोपित अरिफ खान और लक्ष्मी नारायण ने खुलासा किया किया कि चीनी नागरिक के सीधे संपर्क में थे, जो टेलीग्राम के जरिए विदेश से गिरोह का संचालन कर रहा था। ठगी की रकम पहले भारतीय खातों में जमा की जाती, फिर 20 मिनट के भीतर निकालकर उसे क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया जाता। जबकि महेंद्र सिंह और उसका साथी सर्वेश (फरार) बीआईएनएएनसीई जैसे प्लेटफॉर्म पर इस रकम को चीन भेजते थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार